सप्तशती पाठ को करते समय इन बातों का रखें ध्यान, संकटों से मिलेगा छुटकारा

Edited By Jyoti,Updated: 30 Mar, 2022 03:26 PM

chaitra navratri 2022

इस बार के चैत्र नवरात्रि का पर्व 02 अप्रैल दिन शनिवार से हो रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के 9 दिन देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा विधान है। दे

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इस बार के चैत्र नवरात्रि का पर्व 02 अप्रैल दिन शनिवार से हो रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के 9 दिन देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा विधान है। देशभर में चैत्र और शारदीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है जैसे हिंदू धर्म के अन्य त्यौहार दीवाली, दशहरा आदि पर पूजन आदि का विधान है, ठीक उसी प्रकार नवरात्रि पर विशेष प्रकार से पूजन आदि का विधान रहता है। कहा जाता है चैत्र नवरात्रि के दौरान हर तरह से देवी की पूजा करते हैं, क्योंकि कहा जाता है नवरात्रि में जो व्यक्ति इनकी सच्चे व शुद्ध मन से आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। परंतु वहीं अगर इन्हें प्रसन्न करते समय जातक से किसी प्रकार की कोई भूल हो जाए तो भी समस्त पूजा विफल हो जाती है. अर्थात पूजा का फल नहीं मिल पाता।

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दरअसल चैत्र नवरात्रि के दौरान लोग जो अधिकतर भूल करते हैं वो है नवरात्रि में सप्तशती के पाठ को लेकर ही करते हैं। बहुत से लोग हैं जो नवरात्रि में सप्तशती का पाठ तो करते हैं लेकिन इस बात से पूरी तरह से अंजान होते हैं कि इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। आज हम आपको सप्तशती के पाठ से जुड़े कुछ नियम ही बताने जा रहे हैं। जिन्हें नवरात्रों के दौरान खास तौर पर ध्यान में रखना चाहिए।

ज्योतिष जानकार बताते हैं नवरात्रि के दिनों में रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में नकारात्मकता दूर होती है और सुख-समृद्धि में विकास होता है। इतना ही नहीं इससे मां प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं, परंतु लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए वरना पूजा विफल हो जाती है। तो आइए जानते हैं क्या हैं ये सावधानियां-

आपकी जानकारी के लिए बता दें धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि दुर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय होते हैं और इसमें 700 श्लोकों के द्वारा मां दुर्गा की आराधना की जाती है।

पाठ के नियम-
मां दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. इसके लिए सबसे पहले गणेश स्थापना करें और फिर विधिवत तरीके से उनकी पूजा करें।

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ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ साफ-सुथरे लाल रंग का वस्त्र बिछाकर ही करना चाहिए। इसके अलावा इनकी पूजा में पुष्प, कुमकुम और चावल का होना भी अति आवश्यक होता है।

दुर्गा सप्तशती के पाठ से शापोद्धार करना बेहद जरूरी  माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ के हर मंत्र को वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला हुआ है।

बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र, कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना जरूरी होता है इसके बाद ही इसका पाठ किया जाना चाहिए।

इसका पाठ शब्दों के सही उच्चारण के साथ ही करना चाहिए।

इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि इसकी किताब हाथ में लेकर न पढ़ें बल्कि इसे किसी चौकी, स्टैंड पर रखकर ही पढ़ें। ऐसा माना जाता है इससे मां जल्दी प्रसन्न होती हैं। 

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