मां शक्ति के महागौरी स्वरूप की कहानी!

Edited By Jyoti,Updated: 13 Apr, 2019 07:21 AM

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नवरात्रि के आठवें दिन यानि अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि आदि शक्ति का ये रूप अत्यंत सुंदर और मनमोहक है। इनका वर्ण सफ़ेद है

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नवरात्रि के आठवें दिन यानि अष्टमी तिथि को देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि आदि शक्ति का ये रूप अत्यंत सुंदर और मनमोहक है। इनका वर्ण सफ़ेद है। मान्यताओं के अनुसार इनकी अराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में देवी महागौरी को चतुर्भुजी कहकर भी संबोधित किया गया है। मां की ऊपर वाली दाईं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली दाईं भुजा में त्रिशूल इनकी शोभा बढ़ाता है। इनकी ऊपर वाली बाईं भुजा में डमरू हैं जो सम्पूर्ण जगत का निर्वाहन करा रहा है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती हैं। श्वेत रंग की सवारी “वृष” होने के कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। 
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मां महागौरी की महागाथा-
पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब देवी सती भगवान् शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या में लीन थीं, तो उनके सम्पूर्ण शरीर पर मिट्टी जम गई थी। कठोर तपस्या करने की वजह से माता का शरीर काला पड़ गया था। उस समय देवी सती ने जब गंगा जल में स्नान किया तब वह विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो गईं। जिसके बाद से देवी के इस स्वरूप को भगवान शिव ने महागौरी का नाम दिया। 

जानें, आदिशक्ति के नौवें स्वरूप की कहानी (VIDEO)

मां महागौरी की पूजन विधि-
रात्रि में उत्तरपश्चिम मुखी होकर पूजाघर में सफ़ेद रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर चावल की ढेरी रखें। पूजा मे सफ़ेद आसन का उपयोग करें। चावल की ढेरी पर देवी महागौरी का चित्र स्थापित करें। हाथ मे जल लेकर संकल्प करें और देवी का ध्यान करें।  शुद्ध घी का दीपक करें। चंदन से धूप करें। देवी पर सफ़ेद कनेर के फूल चढाएं। इन्हें चावल से बनी खीर का भोग लगाएं। श्रृंगार में इन्हें सफ़ेद चंदन अर्पित करें बाद में बाएं हाथ में शतावरी लेकर दाएं हाथ से सफ़ेद चंदन की माला से देवी के मंत्र का जाप करें। 
मां की वंदना मंत्र का उच्चारण करें। मां की वंदना मंत्र का 108 जाप करें। 
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वंदना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

महागौरी का स्त्रोत पाठ
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

पूजा का महाउपाय 
जिस किसी जातक के दांपत्य जीवन में कलह अधिक हो, तो महागौरी की पूजा से उसे विशेष लाभ प्राप्त होता है। 
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