Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Apr, 2022 06:48 AM
आज 2 अप्रैल शनिवार से चैत्र नवरात्र का आरंभ होने जा रहा है। कलश (घट) स्थापना के उपरांत नवरात्र उत्सव आरंभ होता है। कलश स्थापना के दिन ही नवरात्र की पहली देवी मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की
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Chaitra Navratri 2022: आज 2 अप्रैल शनिवार से चैत्र नवरात्र का आरंभ होने जा रहा है। कलश (घट) स्थापना के उपरांत नवरात्र उत्सव आरंभ होता है। कलश स्थापना के दिन ही नवरात्र की पहली देवी मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन सभी भक्त उपवास रखते हैं और सायंकाल में मां दुर्गा का पाठ और विधिपूर्वक पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं।
कलश स्थापना करने से पहले पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाना चाहिए, पूजा में सभी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। कलश में सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी एवं मुद्रा रखी जाती है और आम के पांच या सात पत्तों से कलश को सजाया जाता है, मध्य में नारियल को लाल चुनरी से लपेट कर रखा जाता है। इस कलश के नीचे जौ बोए जाते हैं, जिनकी दशमी तिथि पर कटाई की जाती है। मां दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल के मध्य में स्थापित की जाती है।
व्रत का संकल्प लेने के बाद, मिट्टी की वेदी बना कर जौ बोया जाता है। इसी वेदी पर घट यानी कलश स्थापित किया जाता है। इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। पाठ पूजन के समय अखंड दीप जलाया जाता है, जो व्रत के पूर्ण होने तक जलता रहना चाहिए।
कलश स्थापना के बाद श्री गणेश और मां दुर्गा जी की आरती से नौ दिनों का व्रत प्रारंभ किया जाता है। कुछ लोग पूरे नौ दिन तो यह व्रत नहीं रख पाते हैं, परंतु आरंभ में ही यह संकल्प लिया जाता है कि व्रत सभी नौ दिन रखने हैं अथवा नौ में से कुछ ही दिन व्रत रखना है।
कलश स्थापना का मुहूर्त इस प्रकार है - सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक। अवधि 2 धंटा 21 मिनट तक रहेगी। प्रतिपदा तिथि आरम्भ 1 अप्रैल 2022 को 11 बजकर 56 मिनट से आरम्भ होकर 2 अप्रैल 2022 को प्रातः 11 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।