27 को है हिंदू नव वर्ष की पहली पूर्णिमा, व्रत से होती हैं पूरी सभी मनोकामनाएं!

Edited By Jyoti,Updated: 24 Apr, 2021 03:46 PM

chaitra purnima 2021

हमारे शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। पूर्णिमा तिथि हर महीने में एक बार आती है। इस बार 27 अप्रैल की चैत्र पूर्णिमा इसलिए भी खास है क्योंकि

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हमारे शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। पूर्णिमा तिथि हर महीने में एक बार आती है। इस बार 27 अप्रैल की चैत्र पूर्णिमा इसलिए भी खास है क्योंकि यह हिंदू नव वर्ष की पहली पूर्णिमा है और हनुमान जी का जन्मोत्सव भी इस दिन होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इसी दिन हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था।इस पावन दिन हनुमान जी की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

हमारे शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख, धन और वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप सत्यनारायण की पूजा बड़े ही विधि विधान से की जाती है। सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन कर प्रसाद का वितरण किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्त को सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि चैत्र पूर्णिमा के  दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में रास लीला रचाया था। जिसे महारास के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने से जीवन में सुख शांति आती है, घर-परिवार में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

हमारे शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। इसे चैती पूनम या चैत्र पूर्णमासी भी कहा जाता है। पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इस दिन कुछ लोग उपवास भी रखते हैं। शाम को चांद देखने के बाद ही इस व्रत का समापन होता है।

चैत्र पूर्णिमा तिथि के शुभ मुहूर्त व पूजा विधि बारे बताना चाहूंगा। 

27 अप्रैल, 2021 दिन मंगलवार

पूर्णिमा तिथि   26 अप्रैल 2021, सोमवार, दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से प्रारम्भ हो जाएगी और

 27 अप्रैल, 2021, मंगलवार, सुबह 09 बजकर 01 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी। 

चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि बारे में बताना चाहूंगा कि इस दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। पवित्र नदी या सरोवर में स्‍नान नहीं कर सकते तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्‍नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए. स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। भगवान कृष्ण या विष्‍णु की पूजा करें। भगवान मधुसूदन की पूजा कर उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।

इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु के स्वरूप सत्यनारायण की पूजा करें। 27 अप्रैल को क्योंकि हनुमान जयंती भी है इसलिए इस दिन विधि- विधान से हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी को भोग लगाएं और फिर हनुमान जी और सभी देवी- देवताओं की आरती करें। अंत में  गरीब परिवार को दान-दक्षिणा प्रदान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्त को सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है। चैत्र पूर्णिमा के इस व्रत में काले तिल का विशेष रूप से दान किया जाता है। 

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