चाणक्य: मूर्तियों में नहीं, अनुभूति में है ईश्वर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 04:40 PM

chanakya anmol vachan

कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए- मैं ये क्यों कर रहा हूं, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाएं, तभी आगे बढिए।

कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए- मैं ये क्यों कर रहा हूं, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाएं, तभी आगे बढिए।

 

व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है।

 

भगवान मूर्तियों में नहीं है आपकी अनुभूति आपका इश्वर है। आत्मा आपका मंदिर है।


अगर सांप जहरीला न भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए।


इस बात को व्यक्त मत होने दीजिए कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाए रखिए और इस काम को करने के लिए दृढ रहें।

 

शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है। शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है।

 

जैसे ही भय आपके करीब आए, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिए।

 

किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।


जब तक आपका शरीर स्वस्थ और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिए। जब मृत्यु सर पर आजाएगी तब आप कुछ नहीं कर पाएंगे।


कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं।


सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख: इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए।


जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाए तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पूरे परिवार को बर्वाद कर देता है।

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