Edited By Jyoti,Updated: 08 Jul, 2018 01:40 PM
आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्व विख्यात हुए।
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आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्व विख्यात हुए। उन्होंने अपनी एक नीति में धन से संबंधित बताया है कि इसे ध्यान में रखने से हानि उठानी पड़ सकती है। जिससे व्यक्ति को बाद में पश्चाताप होता है। दूसरों के धन पर नज़र भी रखने को भी बेईमानी माना गया है।
श्लोक-
परधनानि निक्षेप्तु: केवलं स्वार्थम्।
अर्थात-
किसी दूसरे का धन-धरोहर यानि अमानत के रूप में अपने पास रखकर उसे हथियाने का प्रयत्न करना, एक प्रकार से बेईमानी और स्वार्थ है। राजकर्मचारियों को जनता के धन को धरोहर मानकर ही चलना चाहिए।
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