Edited By Jyoti,Updated: 02 Nov, 2019 01:24 PM
कहा जाता है इंसान अपने जीवन में जितनी सफलता हासिल करता जाता है या सफल होता जाता है उतने ही जल्दी उसके शत्रु भी बनने लगते हैं। इसका दोष किसी को एक देना भी शायद गलत होगा।
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कहा जाता है इंसान अपने जीवन में जितनी सफलता हासिल करता जाता है या सफल होता जाता है उतने ही जल्दी उसके शत्रु भी बनने लगते हैं। इसका दोष किसी को एक देना भी शायद गलत होगा। क्योंकि ये कलियुग है और कलियुग में ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की सफलता से खुश होने की बजाए उसके प्रति जलन की भावना रखता है। इसी जलन के चलते वो सामने वाले का दुश्मन बन जाता है और हर हालात में सफल व्यक्ति को गिराने में लग जाता है। अब ऐसे शत्रुओं से बचा कैसे जाए ये सवाल हमें सताता रहता है जिस कारण हम अधिक परेशान रहने लगते हैं और इनसे बचने के उपाय सोचते रहते हैं। तो आपको बता दें अब आपको अधिक परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि आज हम आपको भारत के महाने कोटिल्य कहे जाने वाले आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं जिस पर अगर आपने अपने जीवन में अमल कर लिया तो दुश्मनों की आपके परेशान करने की हर कोशिश नाकाम ही जाएगी।
बता दें आचार्य चाणक्य की नीतियां प्राचीन समय में जितनी प्रचलित व उपयोगी थी उतनी ही आज के समय में भी है। इन्होंने मानव जीवन से संबंधित हर पहलू पर अपनी नीति पेश की है। फिर चाहे वो स्वास्थ्य की बात हो या शिक्षा, मित्र, बिज़ेनस, आचार-विचार तथा अन्य कोई महत्वपूर्ण विषय। जिसमें आज हम आपको बताएंगे कि चाणक्य द्वारा अपने शत्रुओं से कैसे निपटना चाहिए।
आचार्य चाणक्य की नीतियां अपनाने से आप जीवन में कभी भी किसी भी बड़ी दुविधा में नहीं फंसेंगे और अगर फंस भी गए तो चाणक्य नीति द्वारा बचा भी जा सकता है। आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर पहलू पर अपनी नीति दी है। चाहे वह स्वास्थ्य से संबंधित हो या शिक्षा, मित्र, बिजनेस, आचार-विचार समेत कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार दिये हैं। अगर आपको अपने शत्रुओं से निपटना है तो इस विषय में भी चाणक्य की नीति है।
चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को अपने शत्रु को कभी कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। इसके विपरीत जब आप शत्रु से घिरे हों तो निम्न बताई गई बातों को अपनाना चाहिए।
हमेशा अपने शत्रु का सामना एक खिलाड़ी की तरह डटकर करना चाहिए।
दुश्मन चाहे एक हो या अधिक संख्या में कभी भी इनके समक्ष आने पर शत्रुओं से घिरे होने पर घबराएं नहीं बल्कि उनकी हर चाल पर नज़र रखें यानि सतर्क रहें। सतर्क होने से आप अपने शत्रु की हर गतिविधि पर अपनी नज़र रख सकते हैं।
चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने शत्रु को देखकर डर कर भाग जाता है उसकी शक्ति की क्षीण हो जाती है। इसलिए कभी अपने शत्रु से घिरे होने पर भागें नहीं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर शत्रु आपके समान बलशाली है तो उसे विनय पूर्वक पराजित किया जा सकता है।
जिस व्यक्ति का दुश्मन अधिक बलशाली हो तो उसे उसी की तरह व्यवहार करके पराजित कर सकते हैं।
अपने दुश्मन के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेने से उस पर 75 प्रतिशत जीत हासिल की जा सकती है।
इस बात का खास ध्यान रखें कि कभी भी अपने शत्रु पर पहला प्रहार स्वयं नहीं करें।