चाणक्य नीति: संतुष्ट व्यक्ति कभी नहीं रहता सुखों से वंचित

Edited By Jyoti,Updated: 29 Apr, 2018 03:42 PM

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आचार्य चाणक्य का जन्म आज से लगभग 2400 वर्ष पहले हुआ था। उन्होंने ‘चाणक्य नीति’, अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाज नीति आदि महान ग्रंथों की रचना की। चाणक्य जीवन दर्शन के ज्ञाता थे।

आचार्य चाणक्य का जन्म आज से लगभग 2400 वर्ष पहले हुआ था। उन्होंने ‘चाणक्य नीति’, अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाज नीति आदि महान ग्रंथों की रचना की। चाणक्य जीवन दर्शन के ज्ञाता थे। उन्होंने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों से नियमों का निर्माण कर उन्हीं का लोगों को उपदेश दिया। उन्होंने बहुत सी ऐसी नीतियों का निर्माण किया है जिन पर अमल करने से जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।

 

व्यक्ति को सीधा अौर ईमानदार नहीं होना चाहिए क्योंकि जंगल में सीधे वृक्षों को काटने में कठिनाई नहीं होती उन्हें ही सबसे पहले काटा जाता है।

 

धन ही एकमात्र ऐसी वस्तु है जिसके माध्यम से दुनिया को चलाया जाता है। जिस व्यक्ति के पास पैसा होता है, सारे सगे-संबंधी भी उनके ही होते हैं। मूर्ख लोगों के धनी होने के कारण उन्हें बुद्धिमान, विद्वान अौर योग्य माना जाता है।

 

कुत्ते के लिए उसकी दुम गर्व का सूचक नहीं होती। कुत्ते की पूंछ मक्खी, मच्छरों को उड़ाने के काम नहीं आती। उसी प्रकार कम ज्ञान वाले व्यक्ति की बुद्धि बेकार होती है इसलिए उसे अधिक से अधिक सीखने का प्रयास करते रहना चाहिए।

 

गुस्सा मौत को, लालच दुख को आमंत्रण देता है। ज्ञान दूध देने वाली गाय की तरह है जो प्रत्येक जगह व्यक्ति की मदद करता है। संतुष्ट व्यक्ति कहीं भी प्रत्येक स्थिति में जीवन यापन कर सकता है।

 
बुद्धिमान लोगों को अपना समय व्यर्थ के कार्यों में नष्ट न करके अध्ययन अौर मनन में व्यतीत करना चाहिए। उन्हें सुबह महाभारत की कथा, दिन में स्त्रियों के कार्यों अौर रात के समय चोरों की प्रक्रियाअों से संबंधित ग्रंथों को पढ़ना चाहिए।

 

आदमी को राजा, स्त्रियों अौर आग से दूरी नहीं बनानी चाहिए अौर उनके अधिक करीब भी नहीं जाना चाहिए। 

 


अनुशासनहीन लोग खुद तो दुखी रहते हैं, साथ में दूसरों को भी दु:ख पहुंचाते हैं।

 

आचार्य चाणक्य के अनुसार स्त्री पुरुषों के मुकाबले दुगुणा आहार ग्रहण करती हैं। वह चार गुणा बुद्धिमान अौर चालाक, छह गुणा साहसी अौर कामेच्छा पुरुषों की अपेक्षा उनमें आठ गुणा होती है। इन्हीं कारणों से वह पुरुषों को पराजित करती हैं।

 
जिस देश के लोग भूख से मर रहे होते हैं, वहां पर हवन में घी अौर अनाज को जलाना देशद्रोह की भांति है। ऐसे लोग मंत्रों के शुद्ध भाव अौर पूजा के उद्देश्य को अपवित्र करते हैं। सर्वप्रथम भूखों को भोजन करवाना चाहिए, जिससे हवन करने से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।


किसी चीज को देखने का प्रत्येक व्यक्ति का अपना-अपना नजरिया होता है।

 


अपने गुप्त रहस्य दूसरों को बताकर हम अपनी बर्बादी को स्वयं आमंत्रित करते हैं।

 


यह एक कड़वी सच्चाई है कि प्रत्येक मित्रता के पीछे स्वार्थ छुपा होता है। ज्ञान सबसे उत्तम मित्र है। शिक्षित व्यक्ति को प्रत्येक जगह सम्मान मिलता है। ज्ञान ही एक ऐसा शस्त्र है जो सुंदरता अौर यौवन को पराजित कर देता है।

 
 
व्यक्ति को भूत के बारे में पछतावा अौर भविष्य को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए। उसे इन बातों का त्याग करके वर्तमान में जीना चाहिए। विवेकवान व्यक्ति वर्तमान में जीता है।
 

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