Edited By Jyoti,Updated: 19 Jun, 2018 01:41 PM
बचपन से हमें अपने बड़े-बूढ़ों से अच्छी-बुरी आदते सीखने को मिलती है। ये आदते हमारे चरित्र को ब्यान करती है। कहा जाता है कि समाज में हमारी आदतों के जरिए ही हम एक अच्छा मुकाम हासिल करते हैं।
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बचपन से हमें अपने बड़े-बूढ़ों से अच्छी-बुरी आदते सीखने को मिलती है। ये आदते हमारे चरित्र को ब्यान करती है। कहा जाता है कि समाज में हमारी आदतों के जरिए ही हम एक अच्छा मुकाम हासिल करते हैं।
आचार्य चाणक्य ने अपने चाणक्य नीतिसूत्र में इससे संबंधित एक श्लोक के बारे में बताया है। इसमें उन्होंने बुरी आदतों वालों के लोगों की ओर इशारा करते हुए यह बतलाना चाहा है कि जो व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार हो जाता है, वो अपने जिम्मदारियों को भूल जाता है।
श्लोक-
व्यसनार्तो विस्मरव्यपवेशेन।
जब व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार हो जाता है, तब वह बार-बार अपने कर्तव्य को भूलने लगता है। वह अपने किसी भी कार्य को पूरा करने का सामर्थ्य नहीं रखता। एेसा व्यक्ति जीवन में न तो कुछ अच्छा कर पाता है और न ही कोई अच्छा मुकाम हासिल कर पाता है। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा कि इंसान को बुरी आदतों से सदैव बचना चाहिए।
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