Edited By Jyoti,Updated: 24 Jun, 2018 06:35 PM
आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया था। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी प्रसिद्ध हुए।
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आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया था। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी प्रसिद्ध हुए। आईए जानते हैं आचार्य चाणक्य के एक श्लोक के बारे में जिसमें उन्होंने टाईम के बारे में बताया है।
श्लोक-
नास्त्यनन्तराय: कालविक्षेपे।
इसका अर्थ है कि उचित दिन में कार्य न करने से विघ्न पैदा होने लगते है।
कहावत है कि ‘काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में परलै होएगी, बहुरि करेगा कब?’
ये कहावत तो सब ने सुनी होगी कि जो काम समय रहते नहीं हो पातें उनका असफल होना भी तय रहता है इसलिए कोई भी जरुरी काम कल पर नहीं टालना चाहिए। इसका मतलब यही है कि व्यक्ति को अपने सभी कार्यों को समय रहते ही कर लेना चाहिए। उसे अपना कार्य कभी कल पर नहीं छोड़ना चाहिए, अन्यथा असफलता और पछतावा ही प्राप्त होता है।
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