Edited By Jyoti,Updated: 13 May, 2018 11:17 AM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मित्र-भेद से लेकर दुश्मन की पहचान तक, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान हो जाता है।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मित्र-भेद से लेकर दुश्मन की पहचान तक, पति-परायण तथा चरित्र हीन स्त्रियों में विभेद, राजा का कर्तव्य और जनता के अधिकारों तथा वर्ण व्यवस्था का उचित निदान हो जाता है।
आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियों में सफल और सुखी जीवन के कई सूत्र बताए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति चाणक्य की नीतियों का पालन करता है तो निश्चित ही वह कई प्रकार की परेशानियों से बच सकता है।
श्लोक
अतिभार: पुरुषमवसादयति।
अर्थात
जो राजा अपनी क्षमता से अधिक कार्यभार अपने ऊपर लाद लेता है, वह अतिशीघ्र उदासीन होकर थक जाता है और राज़-काज़ से उदासीन हो जाता है।