चाणक्य नीति: इनसे बनाकर रखें अनुचित दूरी, अधिक समीप या दूर जाने पर होगा नुक्सान

Edited By ,Updated: 27 Dec, 2016 09:38 AM

chanakya niti

राजनीति और कूटनीतिज्ञ के महान ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का चाणक्य नीति में उल्लेख किया है। जिन पर अमल करके व्यक्ति खुशहाल

राजनीति और कूटनीतिज्ञ के महान ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का चाणक्य नीति में उल्लेख किया है। जिन पर अमल करके व्यक्ति खुशहाल जीवन यापन कर सकता है। चाणक्य ने ऐसे लोगों का वर्णन किया है जिनके अधिक नजदीक अौर दूर जाने से नुक्सान होता है।

 

अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदा:।
सेव्यन्ता मध्यभागेन वह्निगुर्रु: स्त्रिय:।।

 

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि राजा, अग्नि अौर स्त्रियों से अनुचित दूरी बनाकर रखने में ही फायदा है। 

 

राजा: चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को राजा या वरिष्ठ अधिकारी के पास न तो अधिक नजदीक जाना चाहिए अौर न ही दूर। राजा किसी देश का प्रमुख होता है, उससे दूर रहने पर सम्मान, नौकरी अौर धन की प्राप्ति नहीं होती। जबकि अधिक पास जाने पर अपमान, कैद या अन्य प्रकार का भय रहता है। 

 

अग्नि: इसी प्रकार अग्नि से दूरी बनाने पर भोजन नहीं बनाया जा सकता अौर न ही अन्य प्रकार के लाभ उठाए जा सकते हैं। इसके विपरीत आग के ज्यादा समीप जाने से हाथ जल भी सकता है। 

 

स्त्री: चाणक्य ने बताया है कि स्त्री के समीप जाने से उसकी ईर्ष्या अौर अधिक दूर जाने पर घृणा का सामना करना पड़ सकता है। 

 

इसलिए इन तीनों से हमेशा एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी चाहिए। जिससे व्यक्ति को लाभ होता रहेगा।
 

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