Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jun, 2017 11:02 AM
आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य की नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध
आचार्य चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य की नीतियों में उत्तम जीवन का निर्वाह करने के बहुत से रहस्य समाहित हैं, जो आज भी उतने ही कारगर सिद्ध होते हैं। जितने कल थे। इन नीतियों को अपने जीवन में अपनाने से बहुत सारी समस्याओं से बचा जा सकता है। आचार्य चाणक्य ने एक नीति में उन बातों के बारे में बताया है, जिनके कारण व्यक्ति निराश होता है।
कांता-वियोग: स्वजनामानो,ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च,विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम्।।
चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि पत्नी का वियोग हर व्यक्ति के लिए निराश करने वाला होता है। वियोग में व्यक्ति को न चाहते हुए भी पत्नी से दूर होना पड़ता है। पत्नी के बिना जीवन अधूरा होता है।
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति अनजान लोगों की कही गई अपमानजनक बातों को भूला सकता है लेकिन किसी अपने मित्र या रिश्तेदार द्वारा किए अपमान को पूरी उम्र नहीं भूल पाता। जिससे रिश्तों में निराशा अौर दूरियां बढ़ जाती है।
कुछ लोग अपनी जरुरत के अनुसार कर्ज लेते हैं। लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं कि वे कर्ज को समय पर चुका नहीं पाते अौर ब्याज बढ़ता रहता है। जिसके कारण व्यक्ति निराश हो जाता है अौर उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
व्यक्ति को यदि न चाहते हुए भी किसी बुरे इंसान के साथ रहकर उसकी सेवा करनी पड़े तो भी वह निराश रहता है।