Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Jun, 2018 02:08 PM
चाणक्य राजा चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। एक बार यूनान का राजदूत भारत आया हुआ था। उसने चाणक्य की बहुत प्रशंसा सुन रखी थी। वह चाणक्य का रहन-सहन देखना चाहता था। वह राजदूत चाणक्य से मिलने उनके निवास स्थान गंगा तट की ओर चल पड़ा।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
चाणक्य राजा चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। एक बार यूनान का राजदूत भारत आया हुआ था। उसने चाणक्य की बहुत प्रशंसा सुन रखी थी। वह चाणक्य का रहन-सहन देखना चाहता था। वह राजदूत चाणक्य से मिलने उनके निवास स्थान गंगा तट की ओर चल पड़ा। वहां जाकर देखा कि गंगा तट पर एक ऊंचा-लम्बा दृढ़ व्यक्तित्व का धनी नहा रहा है। राजदूत ने उस व्यक्ति से पूछा कि क्या मुझे बता सकते हो कि चाणक्य कहां रहता है?
उसने जवाब दिया सामने झोपड़ी में। राजदूत को विश्वास नहीं हुआ कि एक राज्य का महामंत्री एक झोपड़ी में रह सकता है। वह झोपड़ी के द्वार पर पहुंचा तो देखा कि भीतर कोई नहीं है। यह सब देखकर लगा कि किनारे पर मिले व्यक्ति ने उसके साथ मजाक किया है। वह मुडऩे लगा तो वही व्यक्ति सामने खड़ा था। उसे देखकर राजदूत ने पूछा-तुमने तो कहा था कि महामंत्री चाणक्य यहां रहते हैं, लेकिन यहां तो कोई नहीं है।
वह व्यक्ति बोला- आपका स्वागत है। मैं ही चाणक्य हूं। अब राजदूत के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उसे लगा कि सामने खड़ा व्यक्ति अवश्य ही मजाक कर रहा है। उसने कहा- मौर्य राज्य का महामंत्री झोपड़ी में? यह कैसे सम्भव है? चाणक्य ने जवाब दिया कि जब महामंत्री सुख और वैभव से लबालब भरे महलों में रहने लग जाएंगे तो फिर जनता का दुख-दर्द कैसे जाना जाएगा? मैं झोपड़ी में रहकर ही जनता के दुख-सुख में भागी हो सकता हूं।
शासन की बागडोर सम्भालने वाले जिम्मेदार लोग जब सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं, तो उनका सारा ध्यान अपने ही ऐशो-आराम पर केन्द्रित हो जाता है और वे जनता के साथ न्याय नहीं कर पाते। ऐसे राज्य में अराजकता फैलने लगती है। राजदूत पर न केवल चाणक्य की सादगी का असर हुआ बल्कि उनकी बातों ने उसे झकझोर दिया।
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