Edited By Jyoti,Updated: 07 Jun, 2020 03:47 PM
शास्त्रों में माता-पिता केे सम्मान कि बहुत से बातें वर्णित हैं। लगभग हर धार्मिक ग्रंथ में माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया है।
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शास्त्रों में माता-पिता केे सम्मान कि बहुत से बातें वर्णित हैं। लगभग हर धार्मिक ग्रंथ में माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया है। परंतु अगर चाणक्य नीति सूत्र की मानें तो अगर माता-पिता दुष्ट हो तो उनका त्याग कर देना चाहिए। जी हां, हो सकता है आपको इस बात कर विश्ववास न हो, मगर मौर्य वंश पर चंद्रगुप्त को जीत दिलवाने वाले महान विद्वान व कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य का कहना है कि चाहे कोई कितना ही सगा-संबंधी हो, जिसके कर्म दुष्ट हो यानि अंहकारी आदि हो उसके त्याग करना ही सही होता है।
चाणक्य नीति: दुष्ट का त्याग उचित
चाणक्य नीति श्लोक-
माताउपि दृष्टा त्याज्या।
भावार्थ : जैसे शरीर के किसी लाइलाज अंग को काट कर फैंक देते हैं, वैसे ही मां भी यदि अहंकारी और दुष्ट है तो उसे छोड़ दें।