नहीं जानी ये 5 बातें तो अधूरा रह जाएगा आपका चाणक्य शास्त्र ज्ञान

Edited By Jyoti,Updated: 17 Nov, 2020 02:57 PM

chanakya niti in hindi

अगर चाणक्य नीति सूत्र की बात करें, तो इस शास्त्र में आचार्य चाणक्य में मानव जीवन से जुड़े लगभग हर पहलू के बारे में बताया गया है। इस सूची में चाहे सफलता पाने के टिप्स हो

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अगर चाणक्य नीति सूत्र की बात करें, तो इस शास्त्र में आचार्य चाणक्य में मानव जीवन से जुड़े लगभग हर पहलू के बारे में बताया गया है। इस सूची में चाहे सफलता पाने के टिप्स हो, अच्छा व्यापारी बनने के सूज्ञ, अच्छा मनुष्य जीव बनने के बारे में या फिर दांपत्य जीवन को अच्छा बनाने के सूत्र हो, सबकुछ शामिल है। यही कारण है कि आज के समय में भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो प्राचीन समय में उपयोग होने वाली इनकी नीतियों को अपनाते हैं। तो अगर आप भी इनकी नीतियों की अपनाते हैं तो आपतो बता दें कि आगे की दी गई जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। जी हां, दरअसल चाणक्य नीति सूत्र में 5 ऐसी जगहों के बारे में बताया गया है, जिन्हें जाने बिना किसी भी व्यक्ति का चाणक्य शास्त्र ज्ञान अधूरा ही रहता है। आज हम आपको चाणक्य द्वारा वर्णित उसी नीति के बारे में बताने वाले हैं जिसके अगर आप अभी तक नहीं जानते हैं, तो अब जान लीजिए। 

यहां जानें कौन सी वो खास 5 बातें- 
सबसे पहल चाणक्य बताते हैं प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कभी किसी ऐसी जगह पर न रहें, जहां रोज़गार का कोई साधन न हो। चाणक्य कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन जीने के लिए रोज़गार का मोहताज़ होना पड़ता है अन्यथा जीवनयापन कठिन हो जाता ह। इसलिए हमेशा ऐसी जगह पर रहना चाहिए जहां रोज़गार के साधन दिखाई देते हों। 

अक्सर सुनने में आता है कि व्यक्ति को अपने अदंर किसी भी प्रकार का डर नहीं रखना चाहिए। परंतु ऐसा नहीं है आचार्य चाणक्य के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के भीतर डर का होना अति आवश्यक है। जी हां, क्योंकि जब तक मनुष्य के अंदर डर होता है तब तक उसकी अंतरा आत्मा उसे किसी भी प्रकार का गलत कार्य करने से रोकती रहती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति की ऐसी संगति से बचना चाहिए जिन्हें किसी का भी भय न हो। चाणक्य की नीति के अनुसार समाज में अराजकता की बढ़ोतरी के लिए डर का होना भी आवश्यक है। 

इसके बाद आचार्य चाणक्य बताते हैं कि हर व्यक्ति में लज्जा का होना भी ज़रूरी होता है, क्योंकि निर्लज मनुष्य न तो किसी का सम्मान करता है, न ही दूसरों से सम्मान हासिल कर पाता है। इसलिए निवास स्थान के लिए हमेशा वहीं जगह चुनें जहां लोगों के भीतक लज्जा का भाव हो। 

जितना ज़रूरी होता है बुद्धि को बढ़ाना। उतना ही ज़रूरी होता है बुद्धिमान लोगों के साथ रहना। चाणक्य की नीति के अनुसार हमेशा उन लोगों के बीच रहना चाहिए जहां बुद्धिमान लोगों की संगति हो। चाणक्य के अनुसार अकेले में रहने से कई बेहतर होता है ऐसे लोगों के बीच रहना। इससे बुद्धि और विवेक का वास होता है। 

आखिर में आचार्य चाणक्य ने बताते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में दान का अधिक महत्व होता है। इनके अनुसार जीवन में दान दक्षिणा बहुत ही ज़रूरी है। ऐसे लोगों के बीच रहना चाहिए अपने जीवन का अधिकतर समय धर्म कर्म के कार्य करने में लगाते हों। 

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