Edited By Jyoti,Updated: 28 Feb, 2021 01:23 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मानव जीवन से जुड़ी कई बातों के बारे में वर्णन मिलता है। कहा जाता है आज के समय में भी अगर इनके द्वारा बताई गई नीतियों को अपनाया जाए तो व्यक्ति का जीवन सफलता की ओर अग्रसर होता है।
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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मानव जीवन से जुड़ी कई बातों के बारे में वर्णन मिलता है। कहा जाता है आज के समय में भी अगर इनके द्वारा बताई गई नीतियों को अपनाया जाए तो व्यक्ति का जीवन सफलता की ओर अग्रसर होता है। तो वहीं ये भी कहा जाता है जो व्यक्ति सफलता की बुलंदियों पर पहुंचने के बाद इन बातों को भूल जाता है, और इनके विपरीत चलने लगता है अच्छी-खासी जिंदगी खराब हो जाती है।
चाणक्य के अनुसार महान व्यक्तितयों को कभी किसी से उपहास नहीं करना चाहिए। आइए जानते नीति श्लोक की मदद से-
चाणक्य श्लोक-
न महाजनहास: कर्तव्य:।
जो व्यक्ति महान और प्रबुद्ध लोगों का मजाक उड़ाता है वह स्वयं ही निंदा का पात्र बन जाता है। आसमान में थूका हुआ स्वयं के मुंह पर ही आकर गिरता है।
इसके अलावा चाणक्य कहते हैं कि कार्य को करने के लक्ष्य ही इंसान की सफलता और असफलता को निर्धारित करते हैं। जी हैं, किसी भी व्यक्ति के काम करने के तरीके से कई तरह संकेत मिलते हैं।
कार्य के लक्षण ही सफलता-असफलता के संकेत देते हैं
चाणक्य श्लोक-
कार्यस पदं निमित्तानि सूचयन्ति।।
किसी भी कार्य को करते समय मन में यदि उत्साह और ताजगी बनी रहती है तो कार्य स पन्न होने का संकेत प्राप्त होता है और यदि उदासी तथा आलस्य आने लगे तो कार्य न होने का संकेत मिलता है। कर्मशील व्यक्ति इन संकेतों को देख कर ही कार्य करते हैं।