Edited By Jyoti,Updated: 15 Apr, 2021 05:23 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में मानव जीवन से जुड़ी बहुत सी बातें बताई हैै। इन्हीं से एक के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। भारत के महान विद्वानों व नीतिकारों में से
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आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में मानव जीवन से जुड़ी बहुत सी बातें बताई हैै। इन्हीं से एक के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। भारत के महान विद्वानों व नीतिकारों में से एक चाणक्य बताते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को दुष्ट व्यक्तियों से बचकर रहना चाहिए। क्योंकि दुष्य व्यक्ति किसी भी प्रकार से किसी भी समय घाटक साहित हो सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य लोगों से भी चाणक्य ने अपनी स्थिति को छिपाने पर जोर दिया है। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को हर किसी को अपनाी वास्विक स्थिति नहीं बतानी चाहिए। आइए जानते हैं इससे जुड़े चाणक्य नीति श्लोक-
चाणक्य नीति श्लोक-
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम् ।।
अर्थात-
चाणक्य के अनुसार सांप का विष उसके दांत में, मक्खी का विष उसके सिर और बिच्छू का विष उसकी पूंछ में होता है। यानि विषैले प्राणियों के केवल एक-एक अंग में ही विष होता है। परंतु जो व्यक्ति दुष्ट हो जाता है, उसके शरीर के अंग अंग में विष भर जाता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा लोगों को पीड़ा देने के बारे में सोचता है। बता दें जहां विषैला कहने से मतलब है कि व्यक्ति नकारात्मक सोच से भर जाता है, जिस कारण वह दूसरों को केवल परेशान करने के बारे में सोचता रहता है। इसलिए चाणक्य हिदायत देते हैं कि व्यक्ति को हमेशा दुष्ट व्यक्तियों से बचकर रहना चाहिए। इसके साथ ही चाणक्य कुल 8 प्रकार के लोगों से बचने की हिदायत दी है। इनके अनुसार जीवन में उनका कभी भी इन पर भरोसा नहीं करना चाहिए। असल में इस दुनिया में लोगों का रिश्ता सामान्य जन से नहीं होता है, वे आमजन के दुःख तकलीफ को नहीं समझते हैं, उनके इसके अलावा दुर्जनों से भी बच कर रहना चाहिए।
इस श्लोक के जरिए बताए हैं चाणक्य ने उन 8 प्रकार के लोगों के बारे में-
राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको।
पर दु:खं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकंटका:।।
अर्थात- चाणक्य के अनुसार, राजा, यमराज, बालक, चोर, वेश्या, याचक पर किसी भी दुख का कोई असर नहीं होता है। इसके साथ ही ग्रामीणों को परेशान करने वाले पर दूसरे के दुख का कोई असर नहीं होता है। उपरोक्त लोगों को कभी भी अपना दर्द नहीं बताना चाहिए। इसका कारण यह है कि वे इस दुृख से गुजरे नहीं होते हैं इससे उनमें संवेदनाएं नहीं होती है। आपके द्वारा अपना दुःख बताने पर वे उसे खेल में लेकर और बढ़ा सकते हैं या आपकी मजबूरी को वे आपका ढोंग भी समझ सकते हैं।