जीवन में इन बातों को अपनाएं Students, बड़ी से बड़ी सफलता होगी हासिल

Edited By Jyoti,Updated: 28 Apr, 2021 05:16 PM

chanakya niti in hindi

लगभग पिछले 1 वर्ष से कोरोना के कारण देश में ऑनलाइन स्टडीस का प्रचलन चल रहा है। कोरोना के संक्रमण से बच्चों की सुरक्षा के तहत ऑनलाइन स्टडीस शुरू की गई थी।

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लगभग पिछले 1 वर्ष से कोरोना के कारण देश में ऑनलाइन स्टडीस का प्रचलन चल रहा है। कोरोना के संक्रमण से बच्चों की सुरक्षा के तहत ऑनलाइन स्टडीस शुरू की गई थी। जहां काफी लोग इससे खुश हैं, तो वहीं कुछ लोग अपने बच्चों के करियर आदि को लेकर परेशान हो रहे हैं। क्योंकि इस दौरान अधिकतर बच्चे लापरवाह होते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में माता-पिता समझ नहीं पा रहे कि उन्हें क्या करना चाहिए। तो आपको बता दें ऐसे में आपको अपनानी चाहिए आचार्य चाणक्य की नीतियां। जी हां, अगर आपको भी अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है, तो लॉकडाउन के इस समय में आप घर बैठे अपने बच्चों को चाणक्य द्वारा बताई गई बातों की सीख दें। 

चाणक्य कहते हैं कि जीवन में मिलने वाली हर सफलता की नींव विद्यार्थी जीवन काल में रखी जाती है। जिस कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ये समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। चाणक्य का कहना है कि युवा पीढ़ी बदलाव के प्रबल समर्थक होते हैं। युवा या विद्यार्थी जीवन काल में जो कुछ भी सीखते हैं, उसका प्रतिबिंब व्यक्ति की सफलता में झलकता है। यही कारण है कि विद्यार्थी जीवन में नियम और अनुशासन का विशेष महत्व बताया गया है। चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि प्रत्येक विद्यार्थी को शिक्षा ग्रहण करते समय कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। 

कभी न करें लज्जा
ज्ञान प्राप्त करना अत्यंत कठिन कार्य है, इसे किसी साधना से कम नहीं माना जाता है। जिस प्रकार से साधना को सिद्ध करने के लिए कठोर तप करना होता है, उसी प्रकार से शिक्षा ग्रहण करने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। विद्यार्थी को कभी शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने में लज्जा या शर्म नहीं करनी चाहिए, बल्कि सच्ची लगन के इसे प्राप्त करने का प्रयाल करना चाहिए। अगर इसके लिए कठोर से कठोर तप भी करना पड़े, तो पीछें नहीं हटना चाहिए। 

पहचानें समय की कीमत 
चाणक्य कहते हैं जो समय की कीमत जो नहीं समझते हैं, समय भी उनकी कीमत नहीं समझता। जो समय एक बार चला जाता है, वह कभी लौटकर नहीं आता। इसी प्रकार से विद्यार्थी जीवन बार-बार नहीं आता है। मां सरस्वती केवल उस पर अपना आशाीर्वाद बरसाती हैं, जो पूरे मन और त्याग से शिक्षा को ग्रहण करता है।  

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