Edited By Jyoti,Updated: 12 May, 2021 03:05 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मानव जीवन से जुड़ी बहुत सी बातें बताई हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन बातों को
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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मानव जीवन से जुड़ी बहुत सी बातें बताई हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन बातों को अपनाता है उसका जीवन सरल तो होता ही है साथ ही साथ उसके जीवन में सफलता वह खुशियों का आगमन भी होता है। इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी भी बातें बताइ हैं जो व्यक्ति थे चरित्र, व्यवहार व स्वभाव को बेहतर बनाती हैं। आज हम आपको इनके जो दो नीति श्लोकों के बारे में बताने जा रहे हैं वह हर किसी के जीवन में बहुत ही खास है। इनके माध्यम से उन्होंने क्रोध के बारे में तथा उन लोगों के बारे में बताया है जो लोग अपने दोष देख नहीं पाते हैं। चलिए विस्तारपूर्वक जानते हैं इन दोनों श्लोक के भावार्थ तथा अर्थ के बारे में-
चाणक्य नीति श्लोक-
स्नेहवत: स्वल्पो हि रोष:।
भावार्थ- थोड़े समय के लिए होता है अपनों का क्रोध
जो व्यक्ति स्नेह करता है और भला चाहने वाला है, उसका रोष थोड़े समय के लिए ही होता है। माता-पिता और गुरु का क्रोध ऐसा ही होता है। क्रोध हर किसी को आता है, कोई काबू पाना सीख लेता है तो कोई अपने क्रोध के वश में आकर अपने जीवन से जुड़े बहुत बड़े फैसले ले लेता है। मगर चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया है जिनका गुस्सा कुछ ही समय का होता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी से नहीं करता है उसका भला चाहता है उस व्यक्ति का क्रोध हमेशा कुछ समय के लिए होता है। और इस सूची में आते हैं माता पिता तथा गुरु। आचार्य चाणक्य के अनुसार इन तीनों का रोष केवल अपने चाहने वाले की भलाई के लिए ही बाहर आता है। इसीलिए इनका क्रोध कुछ समय में समाप्त भी हो जाता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर जीवन में इन तीनों के रोष का सामना करना पड़े तो हंसी खुशी कर लेना चाहिए क्योंकि यह गुस्सा आपका जीवन संवार सकता है।
अगले श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि किन लोगों को अपने दोष कभी दिखाई नहीं देते हैं। यहां जानें ये श्लोक-
चाणक्य नीति श्लोक-
आत्मच्छिद्रं न पश्यति परच्छिद्रमेव पश्यति बालिश:।
भावार्थ- मूर्ख को अपने दोष दिखाई नहीं देते
जो मूर्ख और दुष्ट स्वभाव के होते हैं वे अपने दोषों को कभी नहीं देखते। वे सदैव दूसरों में दोष निकालते रहते हैं। उनके गुणों पर उनकी दृष्टि कभी नहीं जाती। अक्सर देखा जाता है कि लोग एक दूसरे की कमियां निकालने में आजकल बहुत व्यस्त हैं परंतु किसी को अपनी गलती या अपना दोष दिखाई नहीं देता। आचार्य चाणक्य कहते हैं जो व्यक्ति मूर्ख या दुष्ट स्वभाव के होते हैं उन्हें कभी भी अपने दोष दिखाई नहीं देते हैं ऐसे लोग हर समय दूसरों के दोष निकालते रहते हैं। ऐसे लोगों को न तो कभी अपने गुण दिखाई देते हैं न ही सामने वाले के।