चाणक्य नीति सूत्र- मोह बंधन से मोक्ष पाना अति दुर्लभ

Edited By Jyoti,Updated: 29 Mar, 2022 05:54 PM

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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मानव जीवन से जुड़ी लगभग हर जानकारी दी है। इसमें उन्होंने ऐसे ऐसे नीति सूत्र बताए हैं जिससे न केवल जीवन बेहतर होता है, बल्कि अफने राह से भटका हुआ

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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मानव जीवन से जुड़ी लगभग हर जानकारी दी है। इसमें उन्होंने ऐसे ऐसे नीति सूत्र बताए हैं जिससे न केवल जीवन बेहतर होता है, बल्कि अफने राह से भटका हुआ व्यक्ति सही राह पकड़ लेता है। तो वहीं इससे जानने-समझने वाला व्यक्ति स्वयं में अच्छे तौर पर बदलाव देखने लगता है। इसके अतिरिक्त चाणक्य नीति सूत्र में ऐसी भी नीतियां बताई गई हैं, जिससे अस्त-व्यस्त जीवन सही हो जाता है। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं आचार्य चाणक्य की कुछ नीतियां-
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दुर्लभ: स्त्रीबंधनान्मोक्ष:।
अर्थ- मोह बंधन से मोक्ष पाना अति दुर्लभ

भावार्थ- स्त्री मोह सरलता से नहीं त्यागा जा सकता। जीवनयापन के लिए परमात्मा ने स्त्री और पुरुष को एक-दूसरे का पोषक बनाया है। दोनों प्रकृति और सृष्टि के संचालन के अभिन्न अंग हैं।

अग्नावग्निं न निक्षिपेत्।
अर्थ- आग में आग नहीं डालनी चाहिए

भावार्थ-  भाव यह है कि क्रोधित व्यक्ति को और ज्यादा क्रोध नहीं दिलाना चाहिए क्योंकि क्रोध में व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है और उसे अच्छे या बुरे का कोई ज्ञान नहीं रहता। क्रोध में वह कुछ भी कर सकता है। इससे अशांति पैदा होती है।
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यथा शरीरं तथा ज्ञानम्।
अर्थ- जैसा शरीर, वैसा ही ज्ञान 

भावार्थ-  प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का आकार-प्रकार विभिन्न प्रकार का होता है। बहुत से व्यक्तियों के शरीर को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वे कितने बुद्धिमान हैं परंतु उसे मानदंड के रूप में स्वीकार करना कठिन है।

यथा बुद्धिस्तथा विभव:।
अर्थ- जैसी बुद्धि, वैसा ही वैभव 

भावार्थ- आदमी के जीवन में सत्, रज और तम तीन गुण पाए जाते हैं। सत से सात्विक एवं श्रेष्ठ, रज से राजसिक अर्थात भोग-विलास से युक्त और तम से तामसिक अर्थात दुष्ट विचारों से भरा जीवन। इन तीनों में से आदमी जैसा ज्ञान अपने लिए चुनता है, उसके जीवन का स्वरूप भी उसी के अनुसार बन जाता है।
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