Edited By Jyoti,Updated: 04 May, 2019 04:40 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ‘चाणक्य नीति’ में इंसान के लिए ऐसी नीतियां पेश की हैं, जिन्हें अगर इंसान अपने जीवन में अपना ले तो जीवन की नैय्या बड़ा आसानी से पार हो सकती है।
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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ‘चाणक्य नीति’ में इंसान के लिए ऐसी नीतियां पेश की हैं, जिन्हें अगर इंसान अपने जीवन में अपना ले तो जीवन की नैय्या बड़ा आसानी से पार हो सकती है। आज हम आपको इनके द्वारा बताई गई एक ऐसी ही नीति के लेकर आएं हैं। जिसमें इन्होंने बताया है कि मानव के जीवन का हर संबंध उसकी लाइफ में किसी न किसी कारण वश होता है। कहने के मतलब ये है कि प्रत्येक इंसान के जीवन में आने वाले व्यक्ति के पीछे का कोई न कोई कारण ज़रूर होता है।
श्लोक-
अर्थाधीन एव नियतसंबंध:।
अर्थ- संबंधों का आधार उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है।
भावार्थ- आचार्य चाणक्य इस श्लोक द्वारा बताना चाहा है कि बिना कारण न कोई मित्र बनता है और न ही कोई शत्रु बनता है। बिना किसी कारण किसी व्यक्ति के जीवन में कोई अन्य इंसान शामिल नहीं होता। चाणक्य का कहना है कि हर किसी को इस बात को समझने की ज़रूरत होती है। खासतौर पर एर राजा को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
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