Edited By Jyoti,Updated: 09 Feb, 2021 01:50 PM
कहा जाता है कि मित्रता बहुत ही खूबसूरत रिश्ता होता है। हर कोई चाहता है कि उसके जीवन में कोई ऐसा मित्र ज़रूर हो, जिससे मन की हर बात की जाए। तो वहीं प्रेम के रिश्ता भी ठीक ऐसा ही होता है।
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कहा जाता है कि मित्रता बहुत ही खूबसूरत रिश्ता होता है। हर कोई चाहता है कि उसके जीवन में कोई ऐसा मित्र ज़रूर हो, जिससे मन की हर बात की जाए। तो वहीं प्रेम के रिश्ता भी ठीक ऐसा ही होता है। मगर कई बार लोग अपने जीवन के इन दोनों रिश्तों को बनाते समय जल्दबाज़ी कर जाता है। जिस कारण वो कई बार जानी-अनजानी मुसीबत में पड़ जाते हैं। तो ऐसे में क्या करना चाहिए ये सवाल बहुत से लोगों के मन में आता है। तो बता दें इस संदर्भ में आचार्य चाणक्य ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में दोस्ती और प्रेम के रिश्ते का निर्माण करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
मगर वो खास बातें क्या है, आइए जानते हैं-
चाणक्य के मुताबिक घनिष्ठ मित्रता और प्रेम बराबव वालों में करना चाहिए। उनका मानना था कि देश काल और समाज का प्रत्येक व्यक्ति पर गहरा प्रभाव होता है।
इसलिए ऐसे में अलग परिवेश, सामाजिक व आर्थित अंतर वाले लोगों से प्रेम और मित्रता से बचना ज्यादा सही होता है।
आचार्य कहते हैं जब हम मित्रता अपने बराबर की संस्कृति और आर्थिकी वालों से करते हैं, तो ऐसे में एक-दूसरे की समस्याओं और ज़रूरतों को भलिभांति समझते हैं। दोनों की समझ का यह स्तर रिश्तों को धीरे धीरे प्रगाढ़ करता है।
तो वहीं अत्यधिक सामाजिक और आर्थिक अंतर के कारण रहन-सहन, बात व्यवहार और सोच में खाई जैसे अंतर उत्पन्न हो जाते हैं। कहा जाता है व्यक्ति की मानसिकता उसके चरित्र का निर्माण करती है। और जब चारित्रिक अंतर होता है तो छोटे-छोटे, झगड़े, विवाद और तनाव का कारण जाते हैं।
इसके अलावा चाणक्य बताते हैं कि व्यक्तिगत संबंधों के साथ राजनीतिक व्यवहार में भी चरित्र को अधिकाधिक महत्व प्राप्त है। जिस व्यक्ति का चरित्र और व्यवहार कमजोर होता है उस पर कोई जल्दी भरोसा नहीं करता। और प्रेम और मित्रता में भरोसा सबसे ज़रूरी होता है।
मगर भरोसा केवल समान विचारधारा और संस्कृति के लोगों में विकसित होता है। इसलिए किसी को भी अपना बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि प्रेम और मित्रता का रिश्ता के केवल बराबर वालों के साथ निर्मित किया जाए।