चाणक्य नीति: संकट में बुद्धि ही आती है काम

Edited By Jyoti,Updated: 02 Apr, 2018 02:16 PM

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आचार्य चाणक्य ने महाराज चंद्रगुप्त को अखंड़ भारत का सम्राट बनने में सहायता करने बाद विशाल साम्राज्य की प्रजा के मार्गदर्शन के लिए एक नीतिशास्त्र की रचना की थी जिसे आज ''चाणक्य नीति'' के नाम से जाना जाता है। भले ही ''चाणक्य नीति'' आज से 2300 साल पहले...

आचार्य चाणक्य ने महाराज चंद्रगुप्त को अखंड़ भारत का सम्राट बनने में सहायता करने बाद विशाल साम्राज्य की प्रजा के मार्गदर्शन के लिए एक नीतिशास्त्र की रचना की थी जिसे आज 'चाणक्य नीति' के नाम से जाना जाता है। भले ही 'चाणक्य नीति' आज से 2300 साल पहले लिखी गई पर आज भी इसमें बताई गई ज्यादातर बातें उतनी ही सही बैठती हैं जितनी कि 2300 साल पहले। 


चाणक्य ने चाणक्य नीति के अलावा सैकड़ों ऐसे कथन और कहे थे जिन्हें की हर इंसान को पढ़ना, समझना और अपने जीवन में अपनाना चाहिए। आज हम आपको उनके ऐसे ही कुछ कथनों और विचारों के बारे में बताने जा रहे हैं।


आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार और कथन
ऋण, शत्रु और रोग को समाप्त कर देना चाहिए।


वन की अग्नि चंदन की लकड़ी को भी जला देती है अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते हैं।


शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाएं रखें।


सिंह भूखा होने पर भी तिनका नहीं खाता।


एक ही देश के दो शत्रु परस्पर मित्र होते हैं।


आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है।


मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है।


जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य।


संकट में बुद्धि ही काम आती है।


लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।


यदि माता दुष्ट है तो उसे भी त्याग देना चाहिए।


यदि स्वयं के हाथ में विष फैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।


सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।


एक बिगड़ैल गाय सौ कुत्तों से ज्यादा श्रेष्ठ है। अर्थात एक विपरीत स्वाभाव
का परम हितैषी व्यक्ति, उन सौ लोगों से श्रेष्ठ है जो आपकी चापलूसी करते
हैं।

कल के मोर से आज का कबूतर भला। अर्थात संतोष सब से बड़ा धन है।

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