चाणक्य नीति: इस उम्र में पुरुष के लिए जहर बन जाती है ये चीज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Dec, 2017 12:30 PM

chanakya policy these things become poison for men at this age

आचार्य चाणक्य द्वारा बनाई नीतियां साधारण से साधारण व्यक्ति का कल्याण करने में सक्षम हैं। इन पर अमल करके व्यक्ति खुशहाल जीवन यापन कर सकता है। चाणक्य ने पुरुषों के लिए एक अवस्था ऐसी बताई है, जब उनके लिए स्त्री जहर की भांति हो जाती है। चाणक्य कहते हैं...

आचार्य चाणक्य द्वारा बनाई नीतियां साधारण से साधारण व्यक्ति का कल्याण करने में सक्षम हैं। इन पर अमल करके व्यक्ति खुशहाल जीवन यापन कर सकता है। चाणक्य ने पुरुषों के लिए एक अवस्था ऐसी बताई है, जब उनके लिए स्त्री जहर की भांति हो जाती है। चाणक्य कहते हैं कि


अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्। दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।

 
चाणक्य कहते हैं अनभ्यासे विषं शास्त्रम् अर्थात किसी व्यक्ति के लिए अभ्यास के बिना शास्त्रों का ज्ञान जहर के समान होता है। जो व्यक्ति शास्त्रों का बिना अभ्यास किए स्वयं को शास्त्रों का ज्ञाता बताता है उसे भविष्य में सामाज के सामने अपमान का सामना करना पड़ता है। किसी भी व्यक्ति के लिए अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। 

 
अजीर्णे भोजनं विषम् अर्थात जिस व्यक्ति का पेट खराब होता है उसके लिए भोजन विष के समान होता है। स्वस्थ व्यक्ति का मन स्वादिष्ट भोजन को देखकर ललचा जाता है परंतु जिसका पेट खराब होता है, उसके सामने छप्पन भोग पड़े हो उसे वे भी विष की भांति प्रतीत होते हैं। इस प्रकार की स्थिति में जब तक व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ न हो जाए उसे स्वादिष्ट भोजन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। 

 
आचार्य चाणक्य के अनुसार दरिद्रस्य विषं गोष्ठी अर्थात किसी गरीब व्यक्ति के लिए कोई समारोह या गोष्ठी जहर की भांति होती है। किसी भी समारोह या गोष्ठी में व्यक्ति अच्छे वस्त्र धारण करके जाता है ऐसे में गरीब व्यक्ति का जाना उसे अपमान का अहसास दिलाता है। इसलिए चाणक्य कहते हैं कि स्वाभिमानी गरीब व्यक्ति के लिए समारोह में जाना विषपान की भांति होता है। 

 
इस श्लोक के अंत में चाणक्य कहते हैं कि वृद्धस्य तरुणी विषम् अर्थात वृद्ध पुरुष के लिए नव यौवन विष के समान है। अधिकांश परिस्थितियों में अच्छा वैवाहिक जीवन तभी रह सकता है जब पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे को शारीरिक रूप से संतुष्ट करते हैं। ऐसे में यदि किसी वृद्ध व्यक्ति का विवाह किसी सुंदर और जवान स्त्री से होता है तो वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाता। जिसके कारण उसकी पत्नी पथ भष्ट हो सकती है। जिसके कारण पति को समाज में अपमान का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की अवस्था में किसी वृद्ध व्यक्ति के लिए नवयौवन विष के समान होता है। 

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