Edited By Jyoti,Updated: 27 Jul, 2018 04:44 PM
ग्रहण का असर मंदिरों पर आदि अक्सर देखने को मिलता है। ग्रहण में मंदिरों आदि के कपाट हो जाते हैं। लेकिन इस बार के ग्रहण के सूतक काल ने काशी की एख बहुत बड़ी पंरपरा को तोड़ दिया है।
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ग्रहण का असर मंदिरों पर आदि अक्सर देखने को मिलता है। ग्रहण में मंदिरों आदि के कपाट हो जाते हैं। लेकिन इस बार के ग्रहण के सूतक काल ने काशी की एख बहुत बड़ी पंरपरा को तोड़ दिया है। दशाश्मेध घाट पर होने वाली गंगा आरती शाम की बजाए दोपहर एक बजे की गई। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के सूतक काल के दौरान सभी मंदिरों के कपाट बंद किए जाते हैं। जिसके चलते ही पूरे देश में सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं। गंगा सेवा निधी के अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि ऐसा 26 सालों में दूसरी बार किया गया है जब गंगा आरती के समय में बदलाव हुआ है। इससे पहले पिछले साल 7 अगस्त को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह बदलाव किया गया था जब गंगा आरती शाम की बजाय दिन में 12 बजे आरती की गई।
आज गुरु पूर्णिमा का पर्व भी है लेकिन चंद्रग्रहण के कारण आज सभी मंदिरों में व गुरु आश्रमों में सूतक से पहले ही पूजा कर ली गई है। इस साल चंद्रग्रहण के दूसरे दिन यानी 28 जुलाई से सावन महीना शुरू होने वाला है। सावन माह के एक दिन पहले चंद्र ग्रहण का सूतक लगने के साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट दोपहर 2 बजे बंद कर दिए जाएंगे। इस समय काशी आने वाले श्रद्धालु और कांवरियों को बाबा के दर्शन के लिए दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ेगा। इस दौरान सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और सूतक लगने से चंद्रग्रहण समाप्त होने तक बंद रहेंगे।
सदी का सबसे लंबा व पूर्ण चंद्र
ग्रहण काशी समेत पूरे भारत में दिखाई देगा। ग्रहण रात 11.54 बजे शुरू होकर रात 3.49 बजे समाप्त होगा। 3 घंटे 55 मिनट चलने वाले ग्रहण का सूतक दोपहर 2 बजे शुरू हो चूका है। गुरू पूर्णिमा होने के कारण पूजा ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले ही हो चुकी है।
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