Edited By Jyoti,Updated: 24 May, 2020 03:50 PM
हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या के ठीक अगले दिन या दूसरे दिन चंद्र दिवस मनाए जाने की परंपरा है, जिसका हिंदू धर्म में अपना एक खास महत्व है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या के ठीक अगले दिन या दूसरे दिन चंद्र दिवस मनाए जाने की परंपरा है, जिसका हिंदू धर्म में अपना एक खास महत्व है। बताया जाता है इस दिन चन्द्रमां के दर्शन का भी विशेष महत्व है। तो वहीं इस दिन चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए पूरा दिन उपवास करते हैं, शाम में चंद्रदेव की पूजा के बाद तथा चन्द्र दर्शन के बाद भोजन ग्रहण करते हैं।
ज्योतिषी बताते हैं कि चन्द्र दर्शन दिवस की गणना चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि, इस दिन सूर्यास्त के तत्काल बाद चन्द्रमा मात्र कुछ समय के लिए ही दिखाई देता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस समय चंद्रमा का दर्शन करना अत्यंत फलदायक होता है। अमावस्या के बाद 24 मई को चंद्रमा दिखाई देगा। इस दिन चंद्र दर्शन का सर्वोत्म मुहूर्त 07:17 पी एम से 08:48 पी एम।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस समय पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। बता दें चंद्रमा बुद्धि और ज्ञान का देवता है इसीलिए इस दिन चंद्र दर्शन करने से विद्या का आर्शिवाद प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन चंद्र दर्शन करने से सौभाग्य और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
यहां जानें कैसे कर सकते हैं पूजा-
चंद्र दर्शन करके पूजा करने से पहले दिन भर व्रत करें और शाम का स्नान करके चंद्रमा को जल, रोली और अक्षत चढ़ा कर पूजा करें। इसके बाद अपनी क्षमता अनुसार फल और मिठाई आदि का दान करें।
इसके अतिरक्ति कहा जाता है श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57 वें अध्याय का पाठ करने से चन्द्र दोष समाप्त हो जाता है। तो वहीं इसके निवारण के लिए निम्न मंत्र का पाठ का जप करना चाहिए।
चन्द्र दर्शन दोष निवारण मंत्र
सिंहःप्रसेनमवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
इस मंत्र के जाप और ऊपर बताए गए उपाय से आप चंद्रदर्शन के कलंक से दोषमुक्त हो सकते हैं।