Chanakya Niti: निर्णय लेने से पहले अच्छे से करें विचार

Edited By Jyoti,Updated: 02 Mar, 2021 03:57 PM

chankya niti in hindi

अपने ज्ञान के बल पर भारत के इतिहास के पन्नों में अपना नाम अर्जित करने वाले आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में बताया है कि व्यक्ति

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अपने ज्ञान के बल पर भारत के इतिहास के पन्नों में अपना नाम अर्जित करने वाले आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में बताया है कि व्यक्ति को किसी के भी द्वारा कहीं गई बातों पर तत्काल और तीव्र प्रतिक्रिया देने के बजाए सबसे पहले उसके पीछे की भावन को समझकर ही उस बात पर अपना जवाब देना चाहिए और उसके बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए। क्या है इसका कारण आइए जानते हैं में  आचार्य चाणक्य के नीति सूत्र में शामिल नीति श्लोक से-

चाणक्य कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ऐसे कई अवसर आते हैं, जब कोई आपको अपने कठोर वचनों से दुख पहुंचाता है। ऐसे में कुछ लोग सोचते हैं कि क्यों न इसके बदले में सामने वाले को भी प्रति-उत्तर में कठोर वचन सुना दिया जाए। परंतु कई बार सामने वाला व्यक्ति आपका रिश्तेदार, भाई-बहन या कोई अन्य कोई श्रेष्ठ व्यक्ति हो सकता है। ऐसे में आप उन्हें कठोर वचन नहीं सुना सकते हैं। क्योंकि वे आपके स्वजन हैं और उनके कठोर वचनों का सिर्फ इतना मतलब है कि वे आपका अहित न चाह कर मात्र सावधान करने के उद्देश्य से उन्होंने आपकी आलोचना की हो। वैसे भी आप उनके बिना जीवन न गुजार सकते हों. वे आपके श्रेष्ठजन हों तो उनके कठोर वचनों के पीछे की भावना को ध्यान में रखकर भूल जाना चाहिए। 

चाणक्य कहते है-
मंत्र सत्यम्, पूजा सत्यम्, सत्यम् देव निरंजनम्।
गुरु वाक्यम् सदा सत्यम्, सत्यमेकम परम पदम्।।

अर्थात- अध्यात्म के क्षेत्र में गुरु का महत्व अनंत है तथा गुरु के वाक्य को सदा सत्य माना गया है। इसका व्यवहारिक पहलू यह है कि सच्चा गुरु हमेशा अपने शिष्य का भला चाहता है। उसकी द्वारा की गई प्रताड़ना भी शिष्य की भलाई के लिए होती है। यही कारण कि कहा जाता है बिना किसी सोच विचार के सद्गुरु के वाक्यों को मानना चाहिए। चाणक्य ने न केवल इस वाक्य को चरितार्थ किया बल्कि अपने शिष्य चंद्रगुप्त को तराशकर उन्हें अखंड भारत के प्रथम शासक के पद पर सुशोभित करवाया।

इनके अनुसार गुरु के वचनों को यह समझकर स्वीकार करना चाहिए कि यह गुरु का आदेश है चाहे भले यह वर्तमान में हमारे विरुद्ध दिख रहा है परंतु इसका अंतिम परिणाम आपके अनुकूल होगा। चाणक्य कहते हैं अगर व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ और बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाओ। यानि किसी भी बात का मर्म जानने के बाद ही निर्णय लें।
 

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