Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 10:14 AM
किसी भी व्यक्ति को अपने में वश में करना आसान काम नहीं होता। आजकल हर व्यक्ति यही चाहता है कि सब उसकी बात सुने, उसका कहा माने। लेकिन एेसा कर पाना संभव कार्य नहीं। इससे संबंधित आचार्य चाणक्य ने एक नीति कही है। जिसमें उन्होंने अच्छी तरह से बताया है कि...
किसी भी व्यक्ति को अपने में वश में करना आसान काम नहीं होता। आजकल हर व्यक्ति यही चाहता है कि सब उसकी बात सुने, उसका कहा माने। लेकिन एेसा कर पाना संभव कार्य नहीं। इससे संबंधित आचार्य चाणक्य ने एक नीति कही है। जिसमें उन्होंने अच्छी तरह से बताया है कि किसी भी व्यक्ति को अपने वश में कैसे किया जा सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते है-
लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमंजलिकर्मणा।
मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम्।।
जो व्यक्ति धन का लालची है उसे पैसा देकर, घमंडी या अभिमानी व्यक्ति को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उसकी बात मान कर और विद्वान व्यक्ति को सच से वश में किया जा सकता है। चाणक्य कहते हैं कि हमारे आसपास कई प्रकार के लोग होते हैं। कुछ धन के लोभी, तो कुछ घमंडी। कुछ मूर्ख हैं तो कुछ बुद्धिमान। इन लोगों को वश में करने का सबसे सरल मार्ग है कि किसी लालची व्यक्ति को धन देकर वश में किया जा सकता है। वहीं जो लोग घमंड में चूर होते हैं उन्हें हाथ जोड़कर या उन्हें उचित मान-सम्मान देकर। यदि किसी मूर्ख व्यक्ति को वश में करना हो तो वह व्यक्ति जैसा-जैसा बोले ठीक वैसा ही करने से वश में किया जा सकता है। झूठी प्रशंसा से मूर्ख व्यक्ति वश में हो जाता है। इसके अलावा यदि किसी विद्वान और समझदार व्यक्ति को वश में करना है तो उसके सामने केवल सच ही बोलें। वह तुरंत आपके वश में हो जाएगा।