इस मंत्र का जप करते हुए करें अपने पितरों का श्राद्ध, मिलेगा दोगुना लाभ

Edited By Jyoti,Updated: 09 Sep, 2020 05:18 PM

chant this kusha mantra while doing shradh

पितृ पक्ष में बहुत से ऐसे कार्य किए जाते हैं, जिन्हें करते समय कई तरह के मंत्रों का उच्चारण आदि किया जाता है। मगर ये मंत्र कौन से होते हैं

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पितृ पक्ष में बहुत से ऐसे कार्य किए जाते हैं, जिन्हें करते समय कई तरह के मंत्रों का उच्चारण आदि किया जाता है। मगर ये मंत्र कौन से होते हैं इस बार में हर कोई नहीं जानता क्योंकि शास्त्रों में सनातन धर्म से प्रत्येक दिन त्यौहार से मंत्र आदि दिए गए हैं, जिनमें से ये समझ पाना कि कौन से मंत्र का उच्चारण किस स्थिति में करना चाहिए, थोड़ा मुशक्लि हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको बताने वाले हैं कुशा से जुड़े मंत्र के बारे में, जिसके उपयोग के बिना किसी का भी श्राद्ध या तरप्ण नहीं किया जाता। बता दें कुशा से जुड़ी धार्मिक कथाओं के अनुसार कुशा की उत्पत्ति पालनहार श्री हरि विष्णु जी के रोम से हुई थी, तथा इसका मूल ब्रह्मा, मध्य विष्णु जी को तथा अग्रभाव शिव जी को माना जाता है। इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि कुशा नामक इस घास में ये तीनों देव यानि त्रिदेव मौज़ूद हैं। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान आदि में इसका प्रयोग किया जाना अनिवार्य होता है। बल्कि ये भी बताया जाता है तुलसी की तरह कुशा भी कभी बासी नहीं होती। इसलिए एक बार उपयोग की गई गई कुशा का बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। 

PunjabKesari, Pitru Paksha, Pitru Paksha 2020, Shradh, Shardh paksha 2020, Shradh Paksha, Kusha, Kusha used in Shradh, Kusha Importance, Religious Significance of Kusha, Scientific importance of kusha, Kusha mantra, kusha Mantra in hindi
यहां जानें इससे मंत्र-
दर्भ मूले स्थितो ब्रह्मा मध्ये देवो जनार्दनः। दर्भाग्रे शंकरं विद्यात त्रयो देवाः कुशे स्मृताः।।
विप्रा मन्त्राः कुशा वह्निस्तुलसी च खगेश्वर। नैते निर्माल्यताम क्रियमाणाः पुनः पुनः।।
तुलसी ब्राह्मणा गावो विष्णुरेकाद्शी खग। पञ्च प्रवहणान्येव भवाब्धौ मज्ज्ताम न्रिणाम।।
विष्णु एकादशी गीता तुलसी विप्रधनेवः। आसारे दुर्ग संसारे षट्पदी मुक्तिदायनी।।


क्यों इसका इस्तेमाल है अनिवार्य- 
सनातन धर्म से जुड़े शास्त्रों व पुराणों आदि में इसका महत्व बताया गया है कि ये तमाम पूजा में होने वाली सबसे आवश्यक सामग्री मानी जाती है। हर प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान को करते समय कुशा को अंगूठी के रूप में हथेली की अनामिका अंगुठी में धारण किया जाता है। 

बता दें कुश की अंगूठी के अनामिका उंगली में पहनने जाने का आध्यात्मिक महत्व है। कहा जाता है दरअसल अनामिका यानि रिंग उंगली के नीचे सूर्य का स्थान होने के कारण इसका महत्व दोगुना हो जाता है।  
PunjabKesari, Pitru Paksha, Pitru Paksha 2020, Shradh, Shardh paksha 2020, Shradh Paksha, Kusha, Kusha used in Shradh, Kusha Importance, Religious Significance of Kusha, Scientific importance of kusha, Kusha mantra, kusha Mantra in hindi
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को तेज़ और यश का प्रतीक माना गया है, ऐसे में कहा जाता है कुशा को इस अगुंली में धारण करने से इससे प्राप्त होने वाली ऊर्जा धरती पर नहीं जा पाती।

अंगुठी के अलावा इसकी मदद से पवित्र जल का छिड़काव भी किया जाता है। कहा जाता है कि कुशा मानसिक और शारीरिक दोनों की शुद्धता के लिए ज़रूरी होती है। 

आगे बताते चलें कि कुश का प्रयोग ग्रहण के दौरान भी किया जाता है। 

ग्रहण से पहले ही तमाम खाने-पीने की चीजों में कुश डाल कर रख दिया जाता है। ताकि खाने की चीज़ों की पवित्रता बनी रही। तथा उसमें किसी भी तरह के कीटाणु प्रवेश न कर सकें। 

आध्यात्मिक महत्व
कहा जाता है इसमें यानि कुशा में कई तरह की सकारात्मक ऊर्जाएं मिली होती हैं। मान्यताओं की मानें  तो जब भी कुश के आसन पर बैठकर पूजा-पाठ या ध्यान किया जाता हैं तब शरीर से सकारात्मक ऊर्जाएं लगातार निकलती रहती है। ऐसे में यह ऊर्जा कुश के होने की वजह से पैर के माध्यम से जमीन तक नहीं जाती। 

 PunjabKesari, Pitru Paksha, Pitru Paksha 2020, Shradh, Shardh paksha 2020, Shradh Paksha, Kusha, Kusha used in Shradh, Kusha Importance, Religious Significance of Kusha, Scientific importance of kusha, Kusha mantra, kusha Mantra in hindi
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!