Edited By Jyoti,Updated: 24 Jun, 2021 06:29 PM
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से देव पूरे 4 माह के लिए शयन करते हैं।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से देव पूरे 4 माह के लिए शयन करते हैं। जिसके साथ ही तमाम तरह के शुभमंगल कार्यों पर पाबंदी लग जाती है। बता दे इस बार यह मास 20 जुलाई देवशयनी एकादशी के दिन शुरू होगा। आइए जानते हैं चतुर्मास से जुड़ी खास बातें।
चातुर्मास महीने की अवधि कुल 4 मास की होती है जो आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक रहती है। चातुर्मास के अंतर्गत आने वाले 4 माह है श्रावण भाद्रपद आश्विन तथा कार्तिक। इसमें आषाढ़ के 15 और कार्तिक के 15 दिन शामिल है। चातुर्मास के प्रारंभ को देवशयनी एकादशी कहा जाता है और इसके अंत को देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है।
कहां जाता है कि इन 4 महीनों में व्यक्ति को व्रत, भक्ति, तप और साधना करनी चाहिए। संतजन यात्राएं बंद करके इस दौरान आश्रम, मंदिर व अन्य मुख्य स्थानों पर रहकर व्रत और साधना करनी चाहिए।
सनातन धर्म के अनुसार इन 4 महीनों में सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद होते हैं। खास तौर पर 4 महीनों में विवाह संस्कार, जातक्रम संस्कार, गृह प्रवेश आदि किसी भी तरह के मांगिलक कार्य नहीं किए जाते।
इस दौरान फर्श पर सोना चाहिए तथा सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए। जितना हो सके इस दौरान व्यक्ति को मौन रहना चाहिए और अगर संभव हो तो केवल दिन में एक बार ही भोजन करना चाहिए।