Chhat puja 2024: नहाय खाय के साथ शुरू हुआ छठ पर्व

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Nov, 2024 10:01 AM

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Kartik chhat puja 2024: सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा सोमवार को नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो गया। व्रतधारियों ने नहाय खाय के दिन देशी घी में बनी लौकी की सब्जी, दाल व चावल खाकर व्रत शुरू किया। वहीं आज यानि मंगलवार को खरना है। इस दिन व्रतधारी गुड की...

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Kartik chhat puja 2024: सूर्य की उपासना का पर्व छठ पूजा सोमवार को नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो गया। व्रतधारियों ने नहाय खाय के दिन देशी घी में बनी लौकी की सब्जी, दाल व चावल खाकर व्रत शुरू किया। वहीं आज यानि मंगलवार को खरना है। इस दिन व्रतधारी गुड की खीर, पुडी व फल सिर्फ एक समय खाते हैं। बता दें कि खरना का छठ पर्व के दौरान विशेष महत्व होता है। खरना कार्तिक मास की पंचमी के दिन नहाय खाय के बाद किया जाता है, जिसे लोहंडा भी कहते हैं। 

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आज होगा खरना, व्रतधारी खाएंगे गुड़ की खीर और फल
समझ लीजिए कि खरना व्रत को रखने से पूर्व की तैयारी है और शरीर को व्रत के लिए तैयार करने का एक उपाय है। इस दिन पूरे दिन व्रती निर्जल व्रत रखकर रात को छठी मईया के लिए घर में बनाए गए निश्चित स्थान या फिर पूजा घर में हवन कर खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं जोकि गुड से बनी होती है। इस दौरान रोटी या पुड़ी व मौसमी फल भी खाया जा सकता है। सही मायने में खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता है, जिसमें व्रतधारी अपने तन-मन को शुद्ध करता है इसीलिए पूरे दिन व्रत कर सिर्फ रात को ही भोजन ग्रहण किया जाता है वो भी छठ मइया को भोग लगाने के बाद। खरना के बाद 36 घंटे तक व्रतधारी निर्जल छठी मईया की उपासना करता है।

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खरना के प्रसाद में चूल्हे में जलाई जाती है आम की लकड़ी
खरना के दिन बनाए जाने वाले प्रसाद के लिए गांव में लोग नया चूल्हा रसोई में बनाते हैं लेकिन शहरों में नया चूल्हा खरीदते हैं या फिर विशेष रूप से चूल्हें को अलग रखते हैं जिस पर लहसुन-प्याज या फिर मांसाहारी भोजन नहीं पकाया जाता। मिट्टी के चूल्हे में आम की लकडी का प्रयोग कर प्रसाद बनाया जाता है।

शांति होने पर ही व्रतधारी खाते हैं खरना का प्रसाद
खरना के प्रसाद को व्रतधारी जब छठी मईया को भोग लगाकर उसका सेवन करते हैं तो उस समय घर के अन्य सदस्य शांत रहते हैं। किसी प्रकार का शोर-शराबा पूर्ण रूप से निषेध होता है क्योंकि यदि शोर हुआ तो व्रतधारी को अपना प्रसाद छोडकर उठना पडता है चाहे उसने एक ही कौर प्रसाद ग्रहण किया हो। वहीं व्रतधारी के बाद ही परिवार के अन्य लोगों को प्रसाद दिया जाता है।

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