Edited By ,Updated: 03 Nov, 2016 09:24 AM
दीवाली से छठे दिन सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व छठ पूजा मनाया जाता है। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण भी इसे छठ कहा गया है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और
दीवाली से छठे दिन सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व छठ पूजा मनाया जाता है। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण भी इसे छठ कहा गया है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्ति की छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को स्त्री और पुरुष समान रूप से मनाते हैं। पुत्र सुख पाने के लिए भी इस पर्व को मनाया जाता है।
छठ पूजा एक कठिन तपस्या की तरह है। यह ज्यादातर महिलाओं द्वारा किया जाता है किंतु कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाले लोगों को भोजन के साथ ही सुखद जीवन का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाए गए कमरे में व्रत रखने वाले को फर्श पर एक कंबल या चादर के सहारे ही रात बिताई जाती है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं। पर व्रती ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की होती है। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। शुरू करने के बाद छठ पर्व को सालोंसाल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला को इसके लिए तैयार न कर लिया जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।
2016 की छठ पूजा सारणी
प्रथम दिन (4 नवंबर शुक्रवार)
सूर्योदय 06:40
सूर्यास्त 17:33
द्वितीय दिन (5 नवंबर शनिवार)
सूर्योदय 06:41
सूर्यास्त 17:32
तृतीय दिन (6 नवंबर रविवार)
सूर्योदय 06:42
सूर्यास्त 17:31
चतुर्थ दिन (7 नवंबर सोमवार)
सूर्योदय 06:43
सूर्यास्त 17:30