Prediction: ‘लीप ईयर’ में जन्मे बच्चे राहू के प्रभाव से ग्रस्त रहेंगे

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Mar, 2020 10:02 AM

children born in leap year will suffer from the effects of rahu

2020 वर्ष ‘लीप ईयर’ है। फरवरी का महीना सामान्य वर्षों में 28 दिनों का होता है परन्तु यह वर्ष ‘लीप ईयर’ होने के कारण फरवरी का महीना 29 दिनों का रहा। लीप ईयर में जन्मे बच्चों का भविष्य कैसा रहेगा। इसे लेकर अलग-अलग कयास लगाए जाते रहे हैं।

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जालन्धर (धवन): 2020 वर्ष ‘लीप ईयर’ है। फरवरी का महीना सामान्य वर्षों में 28 दिनों का होता है परन्तु यह वर्ष ‘लीप ईयर’ होने के कारण फरवरी का महीना 29 दिनों का रहा। लीप ईयर में जन्मे बच्चों का भविष्य कैसा रहेगा। इसे लेकर अलग-अलग कयास लगाए जाते रहे हैं।

PunjabKesari Children born in leap year will suffer from the effects of Rahu

2020 वैसे भी 21वीं सदी का खास साल रहेगा। अंक शास्त्र के अनुसार इस साल का योग 4 है जो राहू का प्रतीक है। यह ग्रह अस्थिरता, अराजकता तथा अनिश्चितता का द्योतक है, जिसे हम अपने देश में भी इस वर्ष नागरिकता संशोधन कानून से उत्पन्न अराजकता तथा निर्भय कांड की अनिश्चितता के रूप में देख ही रहे हैं। ज्योतिषविद् मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार हालांकि 4 का अंक विश्व में प्रौद्योगिकी में एक बड़ी क्रांति लाएगा। यह एक लीप का साल भी है, जो 4 साल बाद आता है।

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उन्होंने कहा कि कइयों को अपना जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ 4 साल बाद मनाने का शुभ अवसर मिलता है। इस वर्ष 2020 में आज 29 फरवरी को विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं है, फिर भी कुछ लोग विवाह अवश्य कर रहे हैं। जिन शिशुओं का जन्म 29 फरवरी 2020 को होगा, उनकी जन्मतिथि का योग 8 बनेगा, जोकि अंक विद्या में शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। 

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इसके अलावा 29 तारीख को दिन भी शनिवार पड़ा था। शनि अपनी मकर राशि में, गुरु भी स्वराशि धनु में होगा। शनिवार को जन्मे बच्चे जीवन में औरों से अलग होंगे और जीवन की ऊंचाइयों को जल्द छूएंगे। जिन लोगों का जन्म 29 फरवरी को आता है वह अपना वास्तविक जन्मदिन 4 साल में एक बार मना पाते हैं। हालांकि सांकेतिक रूप में वह 28 फरवरी को अपना जन्मदिन मना लेते हैं लेकिन सरकारी कागजों में तथा कानूनी दस्तावेजों में तो उनकी जन्म की आधिकारिक तिथि 29 ही लिखी जाएगी। 29 फरवरी को जन्मे व्यक्ति को अपना वास्तविक 25वां जन्मदिन मनाने के लिए पूरे 100 साल का होना पड़ेगा।

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उन्होंने कहा कि दरअसल पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और लगभग 6 घंटे का समय लगता है। इस 6 घंटे के चलते प्रत्येक 4 वर्ष में एक दिन अधिक हो जाता है। परिणामस्वरूप प्रत्येक 4 वर्ष बाद फरवरी महीने में एक दिन अतिरिक्त जोड़ कर इसे संतुलित किया जाता है। 

पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365.242 दिन लगते हैं। यानी एक कैलेंडर वर्ष से एक चौथाई दिन अधिक। आसान भाषा में कह सकते हैं कि एक सदी में हम 24 दिन आगे निकल जाएंगे। अगर ऐसा होता तो मौसम को महीने से जोड़कर रखना बहुत ही मुश्किल हो जाता। 

यदि इस लीप वर्ष की व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए तो मई-जून की गर्मी की स्थिति 500 साल बाद दिसम्बर महीने में होगी। उन्होंने कहा कि लीप ईयर में जन्मे बच्चों पर राहू का प्रभाव रहेगा। अगर कुंडली में राहू अच्छी स्थिति में हुआ तो ऐसे बच्चे दिमागी तौर पर काफी तेज भी हो सकते हैं और साथ ही वह प्रौद्योगिकी व नए-नए आविष्कार करने में भी सक्षम हो सकते हैं।


 

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