Edited By Lata,Updated: 25 Oct, 2019 12:58 PM
कार्तिक महीना शुरू होते ही त्योहारों की लड़ी लग जाती है। वहीं इसी महीने दीपावली का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है
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कार्तिक महीना शुरू होते ही त्योहारों की लड़ी लग जाती है। वहीं इसी महीने दीपावली का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है और ये लगातार 5 दिनों तक मनाया जाता है। दीपावली से पहले छोटी दिवाली जिसे नरक चतुर्दशी, काली चौदस आदि नामों से भी जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन यम के समक्ष दीप दान और उनकी पूजा करने का विधान होता है। लेकिन क्या कोई इस बात को जानता है कि दिवाली के मौके पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा क्यों की जाती है ? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से
प्रचलित कथा के अनुसार रंति देव नाम के एक धर्मात्मा थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया लेकिन फिर भी मृत्यु के दौरान उन्हें नरक लोक मिला और यह देखकर राजा बोले कि मैंने कभी कोई पाप नहीं किया तो फिर आप क्यों मुझे लेने आए हो आपके आने का मतलब मुझे नरक में स्थान मिला है। यह बात सुनकर यमदूत ने कहा कि हे वत्स एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा पेट लौट गया था, यह आपके उसी कर्म का फल है।
इस बात को सुन राजा ने यमराज से एक वर्ष का समय मांगा और ऋषियों के पास अपनी इस समस्या को लेकर पहुंचे तब ऋषियों ने उन्हें कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखने और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनसे माफी मांगने को कहा। एक साल बाद यमदूत राजा को फिर लेने आए, इस बार उन्हें नरक के बजाय स्वर्ग लोक ले गए तब ही से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई, ताकि भूल से हुए पाप को भी क्षमादान मिल सके।