Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Sep, 2018 10:30 AM
गणेश को एक अनार्य देवता माना जाता है क्योंकि उनका शरीर बहुत छोटा है जो यक्षों तथा शिवगणों के समान है। गणेश जी का व्यापक मस्तक ज्ञान का प्रतीक है। भगवान गणेश जी के बड़े-बड़े कान बेहतरीन श्रवण शक्ति के प्रतीक हैं।
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गणेश को एक अनार्य देवता माना जाता है क्योंकि उनका शरीर बहुत छोटा है जो यक्षों तथा शिवगणों के समान है। गणेश जी का व्यापक मस्तक ज्ञान का प्रतीक है। भगवान गणेश जी के बड़े-बड़े कान बेहतरीन श्रवण शक्ति के प्रतीक हैं। गणपति जी की छोटी- छोटी आंखें प्रगाढ़ एकाग्रता को दर्शाती हैं। इनकी लंबी सूंड कार्यकुशलता की प्रतीक है। गणेश जी का बड़ा सा पेट दर्शाता है कि जीवन में प्राप्त होने वाली सभी अच्छी-बुरी चीजों को सहजता से ग्रहण किया जाए। गणेश जी की छोटी-छोटी टांगे सहनशीलता और शक्ति की ओर इशारा करती हैं।
पौराणिक मतानुसार श्री हरि विष्णु के अवतार परशुराम भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पहुंचे परंतु द्वार पर खड़े गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। जिस पर परशुराम व गणेश के बीच युद्ध हुआ। जिसमें परशुराम के फरसे के वार से गणेश का एक दांत टूट गया, तभी से गणपती एकदंत कहलाए। एकदंत से शिक्षा मिलती है कि बुरी चीजों को त्याग कर अच्छी चीजों को ग्रहण करें।
भविष्य पुराण की कथा के अनुसार बाल्यकाल में गणेश जी बहुत नटखट थे। वह बालपन में अपने भाई कुमार कार्तिकेय को बहुत परेशान कर रहे थे। क्रोध में आकर कार्तिकेय ने उनका एक दांत तोड़ दिया। जब गजानन भगवान शिव के पास शिकायत लेकर गए तो कार्तिकेय ने गणेश जी को उनका दांत लौटा दिया, साथ में यह श्राप भी दिया की इस दांत को हमेशा उन्हें अपने हाथ में पकड़े रहना होगा अन्यथा वो भस्म हो जाएंगे।
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