Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Jan, 2019 10:25 AM
नव ग्रहों का स्थान जन्मकुंडली में यदि सही जगह पर है तो जातक को कोई परेशानी नहीं होती किन्तु यदि सही जगह पर नहीं है तो इनका प्रकोप जातक को सहना ही पड़ता है। ग्रह शांति का सबसे बढ़िया उपाय क्या हो, इस मामले में ज्योतिष में अनेक धारणाएं प्रचलित हैं।
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नव ग्रहों का स्थान जन्मकुंडली में यदि सही जगह पर है तो जातक को कोई परेशानी नहीं होती किन्तु यदि सही जगह पर नहीं है तो इनका प्रकोप जातक को सहना ही पड़ता है। ग्रह शांति का सबसे बढ़िया उपाय क्या हो, इस मामले में ज्योतिष में अनेक धारणाएं प्रचलित हैं। यंत्र, मंत्र, तंत्र, रत्न, टोटके, दान-पुण्य, रंग एवं अनेक प्रकार के कर्मकांडों के माध्यम से ग्रहशांति की जाती है। कई बार व्यक्ति चाह कर भी वो उपाय या टोटके नहीं कर पाता जो विद्वानों द्वारा बताए जाते हैं। ऐसे में यदि भोजन ग्रहों के अनुकुल खा लिया जाए तो नवग्रह मजबूत होकर मनचाहा वरदान देते हैं। तो आइए जानें, जीवन का अनिवार्य भाग भोजन कैसे बना सकता है नवग्रहों को स्ट्रांग।
सूर्य- रवि की अनुकूलता के लिए व्यक्ति को अपने आहार में केसर, गेहूं, आम सहजन की फली, चिकने पदार्थ तथा शहद का उपयोग अवश्य करना चाहिए।
चन्द्रमा- यह मानसिक शांति से संबंधित है। चंद्रमा की अनुकूलता के लिए गन्ना, सफेद गुड़ या चीनी, दूध अथवा दूध के बने पदार्थ, नमक, आइसक्रीम तथा मिठाइयों को अपने आहार में निश्चित ही शामिल करना चाहिए।
मंगल- मंगल की पीड़ा को कम करने के लिए जातक को अपने आहार में मूंग व मूंग की दाल, प्याज, चाय, गुड़, मसूर की दाल, अनार, कॉफी, कोको, लाल सरसों, जौ तथा घी का उपयोग करना चाहिए।
बुध- बुध को इलायची सर्वाधिक प्रिय है। मटर, ज्वार, मोठ, हरी दालें, अमरूद व हरी सब्जियां बुध की प्रसन्नता के लिए आहार में ग्रहण करने चाहिए।
बृहस्पति- बृहस्पति की कृपा के लिए आहार में चना, चना दाल, बेसन, मक्का, केला, हल्दी, सेंधा नमक, पीली दालें तथा फलों को शामिल करना चाहिए।
शुक्र- जब शुक्र का प्रभाव कुंडली पर कम होता है, विवाह जल्दी नहीं हो पाता। शुक्र के कुप्रभाव के कारण ही दांपत्य जीवन भी सुखद नहीं होता। त्रिफला, दालचीनी, खुरमानी, कमल गट्टे, मिश्री, मूली तथा सफेद शलगम का उपयोग आहार में करते रहने से शुक्र प्रसन्न होते हैं।
शनि- शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए तिल, उड़द, काली मिर्च, अलसी एवं मूंगफली का तेल, अचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग आहार में करना चाहिए।
राहू-केतु - राहू तथा केतु की पीड़ा से बचने के लिए उड़द, तिल तथा सरसों का प्रयोग लाभदायक होता है।
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