Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Mar, 2020 07:28 AM
कोरोना वायरस का खौफ संसार भर में छाया हुआ है। इस संक्रमण ने हर तरफ अपने पैर पसार लिए हैं। चीन, इटली, ईरान, सऊदी अरब, अमेरिका जैसे देशों में ये अपना विकराल रुप दिखा रहा है।
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Coronavirus: कोरोना वायरस का खौफ संसार भर में छाया हुआ है। इस संक्रमण ने हर तरफ अपने पैर पसार लिए हैं। चीन, इटली, ईरान, सऊदी अरब, अमेरिका जैसे देशों में ये अपना विकराल रुप दिखा रहा है। भारत में भी कोरोना वायरस ने अपने घर की नींव बनानी शुरु कर दी है। अपनी सुरक्षा अपने हाथ होती है। सार्वजनिक क्षेत्रों से जितना हो सके उतनी दूरी बनाकर रखें। सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात ये हैं कि किसी भी किस्म की लापरवाही स्वयं को तो प्रॉब्लम में डालेगी साथ में आपके अपनों का भी नुकसान करेगी। थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर अपने हाथ धोएं। जितनी हो सके स्वच्छता का ध्यान रखें। जहां लोगों का आना जाना अधिक हो, वहां से दूरी बना कर रखें। भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार यूं करें घर की वास्तु शुद्धि-
घर में तुलसी के पौधे लगाएं।
घर एवं आसपास के परिसर को स्वच्छ रखें।
घर में यथासंभव नियमित गौमूत्र का छिड़काव करें।
घर के अंदर सप्ताह में दो दिन कच्ची नीम पत्ती की धूनी जलाएं। पानी में नमक और फिटकरी मिलाकर पोंछा लगाएं।
घर में सुबह-शाम कंडे प्रज्वलित कर गूगल और कपूर का धूना एवं लोबान से धूप करें।
घर की चारों दीवारों पर वास्तु शुद्धि की सात्विक नाम जप की पट्टियां लगाएं।
संतों के भजन, स्रोत पठन या मंत्रों की मशीन अथवा या सात्विक नाम जप की ध्वनि चक्रिका चलाएं।
घर में अपने मृत पितरों के चित्र अपनी दृष्टि के सामने न रखें।
घर में कलह-क्लेश टालें। वास्तु देवता ‘तथास्तु’ कहते रहते हैं अत: क्लेश से कष्ट और बढ़ता है एवं धन का नाश होता है।
घर में सत्संग प्रवचन का आयोजन करें। रामायाण पाठ, सत्य नारायण कथा, सुंदरकांड आदि का आयोजन करते रहें। अतिरिक्त स्थान घर में हो तो धर्म कार्य हेतु या साप्ताहिक सत्संग हेतु उस स्थान को किसी संत या गुरु के कार्य हेतु अर्पण करें।
संतों-महात्माओं के चरण घर में पडऩे से घर का वास्तु काफी हद तक शुद्ध हो जाता है, अत: संतों के आगमन के लिए अपनी-अपनी भक्ति बढ़ाएं।
प्रसन्न एवं संतुष्ट रहें, घर के सदस्यों के मात्र प्रसन्नचित रहने से ही घर की ऊर्जा तक शुद्ध हो जाती है।
घर में अधिक से अधिक समय सभी कार्य करते हुए नाम जप, स्रोत आदि का पाठ करें।
सुबह और संध्या समय घर के सभी सदस्य मिल कर पूजा स्थल पर आरती करें।
घर के पर्दे, दीवार, चादर इत्यादि के रंग हल्के रखें। घर की चादर पर्दे या दीवारों के रंग काले, बैंगनी या गहरे रंग के न हों।