कोविड-19 से बने हालात में श्री हरिमंदिर साहिब की गोलक घटी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Apr, 2020 07:54 AM

covid 20 and golden temple

विश्व के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थान श्री हरिमंदिर साहिब जहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं, आज कोरोना वायरस के चलते बने हालात में खाली दिखता है। इस समय यहां की

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अमृतसर(अनजान): विश्व के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थान श्री हरिमंदिर साहिब जहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं, आज कोरोना वायरस के चलते बने हालात में खाली दिखता है। इस समय यहां की गोलक नाममात्र रह गई है। इस संबंध में श्री हरिमंदिर साहिब के अलग-अलग अधिकारियों से जानकारी लेनी चाही तो वे कन्नी काटते दिखे। आखिर में मैनेजर मुखत्यार सिंह से फोन और मुलाकात हुई तो उन्होंने बताया कि अकेले श्री हरिमंदिर साहिब का चढ़ावा पहले करीब 2 करोड़ रुपए महीने का था (साल का करीब 24 करोड़ रुपए) जो कोविड-19 के चलते नाम मात्र रह गया है।

 

उन्होंने कहा अभी तक गोलक की गिनती नहीं हुई, इसलिए ये नहीं बताया जा सकता कि अब कितना चढ़ावा आ रहा है, परन्तु सूत्रों के अनुसार कर्फ्यू के दौरान श्री हरिमंदिर साहिब का चढ़ावा अब रोजाना 10 से 15 हजार रुपए के करीब रह गया है। वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन श्री हरिमंदिर साहिब के अलावा करीब 90 से 95 गुरुद्वारा साहिबान पंजाब, हिमाचल और हरियाणा में हैं, जिनमें सूत्रों के हवाले से 25 प्रतिशत (2,800) के करीब मुलाजिम बाहर के गुरुद्वारों के मिलाकर करीब 11000 मुलाजिम हैं, परन्तु इस समय बाहर के गुरुद्वारों का चढ़ावा भी न के बराबर है, जबकि साल 2018-19 का शिरोमणि कमेटी बजट 1,205 करोड़ रुपए का था। इस साल कोविड-19 को लेकर बहुत ज्यादा घटने के आसार हैं।

इसके बावजूद शिरोमणि कमेटी गुरु साहिबान की लंगर की प्रथा जारी रखते लाखों संगत तक लंगर मुहैया करवा रही है। दूसरा सबसे बड़ा गुरुद्वारा तख्त श्री केसगढ़ साहिब श्री आनंदपुर साहिब है, जिसका सूत्रों के अनुसार पिछले समय में 70 लाख चढ़ावा आया था, परन्तु इस साल वह भी न मात्र ही रहा है।

संगत के सहयोग से चलते हैं लंगर : मेहता
शिरोमणि कमेटी के सीनियर उप प्रधान रजिन्दर सिंह मेहता ने बताया कि गुरु के लंगर संगत के सहयोग से चलते हैं और सदा चलते रहेंगे। जहां इसमें संगत सहयोग कर रही है वहीं हैड ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह लंगर के लिए 51 हजार रुपए, ज्ञानी रघबीर सिंह जत्थेदार तख्त श्री दमदमा साहिब 25 हजार रुपए, मुख्य सचिव डा. रूप सिंह व पूर्व ग्रंथी सिंह ज्ञानी यशवंत सिंह 21-21 हजार रुपए की सेवा कर चुके हैं।

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