Edited By Jyoti,Updated: 03 Feb, 2019 11:30 AM
भारत देश में इतने मंदिर है कि इनकी गिनती करना बड़ा ही मुश्किल है। समय-समय पर हम आपको कई ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में जानकारी प्रदान करते रहते हैं।
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भारत देश में इतने मंदिर है कि इनकी गिनती करना बड़ा ही मुश्किल है। समय-समय पर हम आपको कई ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में जानकारी प्रदान करते रहते हैं। हमेशा की तरह आज भी हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि शिव और उनके ससुराल से जुड़ा है इसके निर्माण के पीछे की दास्ता तो आप सब ने सुनी होगी। लेकिन उस स्थान के बारे में शायद ही कम लोग जानते होंगे। आइए जानते हैं इस तीर्थ स्थल के बारे में-
हम बात कर रहे है दक्षेश्वर महादेव के बारे में जो कि कनखल हरिद्वार उत्तराखण्ड में स्थित है। मान्यता के अनुसार ये वहीं मंदिर है जहां राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था और जिसमें दक्ष द्वारा शिव का अपमान सती सह न पाई और यज्ञ की अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिये। माना जाता है जब ये बात महादेव को पता लगी तो उन्होंने गुस्से में दक्ष का सिर काट दिया। देवताओं के अनुरोध पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया। राजा दक्ष को अपनी गलतियों का एहसास हुआ और भगवान शिव से क्षमा मांगी। तब भगवान शिव ने घोषणा की कि हर साल सावन के महीने में वो कनखल में निवास करेंगे।
सावन के महीने के यहां भक्तों की भीड़ लग जाती हैं। जहां दुनिया के सारे मंदिरों में शिव जी की शिंवलिंग के रूप में पूजा की जाती है, वहीं ये एक ऐसा मंदिर है यहां महादेव राजा दक्ष की धड़ के रूप में विराजमान है। सावन के महीने जो कोई भी यहां जलाभिषेक करता है उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। कहा जाता है यहां भगवान साक्षात रूप में विराजमान है यहां जल मात्र चढ़ाने से शिव जी खुश हो जाते हैं।
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