कनखल में है भगवान शंकर का ससुराल, यहीं काटा था राजा दक्ष का सिर

Edited By Jyoti,Updated: 02 Mar, 2021 05:34 PM

daksheshwar mahadev temple

महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 11 मार्च को मनाया जाए वाला है, इस दिन से साल का सबसे बड़ा कहे जाने वाला कुंभ मेला आरंभ होगा। इस खास अवसर पर लोग देश के मुख्य तीर्थ स्थलों पर जाकर स्नान,दान जैसे पुण्य कार्य करते हैं।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 11 मार्च को मनाया जाए वाला है, इस दिन से साल का सबसे बड़ा कहे जाने वाला कुंभ मेला आरंभ होगा। इस खास अवसर पर लोग देश के मुख्य तीर्थ स्थलों पर जाकर स्नान,दान जैसे पुण्य कार्य करते हैं। शिवरात्रि के दिन लोग भगवान शंकर के कई प्राचीन मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।  भारत देश मेें अनगिनत मंदिर हैं, जिन में से कहा जाता है कि अधिकतर शिव मंदिर। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, हरिद्वार से लगभग 4 कि.मी दूर दक्षेश्वर मंदिर के बारे में। इस मंदिर से वैसे तो बहुत से लोग रूबरू है, परंतु इस का निर्माण कैसे हुआ इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, तो आइए जानते हैं इस तीर्थ स्थल के बारे में-

दक्षेश्वर महादेव मंदिर कनखल हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित है। मान्यता के अनुसार ये वहीं मंदिर है जहां राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतों को तो आमंत्रित किया गया था परंतु भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया गया था। 

कथाओं के अनुसार राज दक्ष द्वारा शिव का अपमान सती सह न पाई और यज्ञ की अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। माना जाता है जब ये बात महादेव को पता लगी तो उन्होंने गुस्से में दक्ष का सिर काट दिया। देवताओं के अनुरोध पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया। राजा दक्ष को अपनी गलतियों का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी। तब भगवान शिव ने घोषणा की कि वे हर साल सावन के महीने में भगवान शिव कनखल में निवास करेंगे।
 
यही कारण है कि सावन के महीने यहां भक्तों की ज्यादा भीड़ उमड़ती है। दुनिया के सारे मंदिरों में शिव जी की शिंवलिंग के रूप में पूजा की जाती है। यही एक ऐसा मंदिर है यहां  भगवान शंकर के साथ-साथ राजा दक्ष की धड़ के रूप में पूजा होती है। सावन के महीने जो कोई भी यहां जलाभिषेक करता है उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है यहां भगवान साक्षात रूप में विराजमान हैं। 

तो वहीं अन्य प्रचलित किंवदंतियों के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 1810 AD में रानी धनकौर ने करवाया था और 1962 में इसका पुननिर्माण किया गया।-मंदिर के बीच में भगवान शिव जी की मूर्ति लैंगिक रूप में विराजित है।-भगवान शिव का यह मंदिर देवी सती (शिव जी की प्रथम पत्नी) के पिता राजा दक्ष प्रजापति के नाम पर रखा गया है। मंदिर में भगवान विष्णु के पाँव के निशान बने (विराजित) है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव जी के वाहन “नंदी महाराज” विराजमान है। राजा दक्ष के यज्ञ के बारे में वायु पुराण में भी उल्लेख है। इस मंदिर में एक छोटा सा गड्ढा है , जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस गड्ढे में देवी सती ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। दक्ष महादेव मंदिर के निकट गंगा के किनारे पर “दक्षा घाट” है , जहां शिव भक्त गंगा में स्नान कर भगवान शिव के दर्शन करके आनंद प्राप्त करते हैं। कनखल को भगवान शिव जी का ससुराल माना जाता है। 


 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!