दत्तात्रेय जयंती: इस खास दिन जरूर पढ़ें, ये कथा

Edited By Lata,Updated: 10 Dec, 2019 10:29 AM

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हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि को पर दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है और इस साल ये 11 दिसंबर दिन

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि को पर दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है और इस साल ये 11 दिसंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों में भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार दत्तात्रेय जी ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी और भगवान दत्त के नाम पर ही दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। इनके दक्षिण भारत में बहुत से प्रसिद्ध मंदिर भी स्थापित हैं। कहते हैं कि दत्तात्रेय जयंती के दिन जो व्यक्ति व्रत करता है व इनके पूजन करता है उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है। किंतु जो लोग व्रत नहीं कर सकते वे इस दिन व्रत कथा जरूर पढ़े। 
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दत्तात्रेय कथा
मान्यता है कि महर्षि अत्रि मुनि की पत्नी अनुसूया की महिमा जब तीनों लोकों में होने लगी तो माता अनुसूया के पतिव्रत धर्म की परीक्षा लेने के लिए माता पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के अनुरोध पर तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु, महेश पृथ्वी लोक पहुंचे। तीनों देव साधु भेष रखकर अत्रिमुनि आश्रम में पहुंचे और माता अनुसूया के सम्मुख भोजन की इच्छा प्रकट की। 
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तीनों देवताओं ने माता के सामने यह शर्त रखी कि वह उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराए। इस पर माता संशय में पड़ गई। उन्होंने ध्यान लगाकर जब अपने पति अत्रिमुनि का स्मरण किया तो सामने खड़े साधुओं के रूप में उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश खड़े दिखाई दिए।
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माता अनसूया ने अत्रिमुनि के कमंडल से निकाला जल जब तीनों साधुओं पर छिड़का तो वे छह माह के शिशु बन गए। तब माता ने शर्त के मुताबिक उन्हें भोजन कराया। वहीं, पति के वियोग में तीनों देवियां दुखी हो गई। तब नारद मुनि ने उन्हें पृथ्वी लोक का वृत्तांत सुनाया। तीनों देवियां पृथ्वीलोक में पहुंचीं और माता अनुसूया से क्षमा याचना की। तीनों देवों ने भी अपनी गलती को स्वीकार कर माता की कोख से जन्म लेने का आग्रह किया। इसके बाद तीनों देवों ने दत्तात्रेय के रूप में जन्म लिया और तभी से माता अनुसूया को पुत्रदायिनी के रूप में पूजा जाता है। 

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