Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Dec, 2017 01:38 PM
एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लम्बा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसने एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे एयरपोर्ट जाना है। टैक्सी वाले ने कहा, ‘‘300 रुपए लगेंगे।’’
उस पहलवान आदमी ने
एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लम्बा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसने एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे एयरपोर्ट जाना है। टैक्सी वाले ने कहा, ‘‘300 रुपए लगेंगे।’’
उस पहलवान आदमी ने अक्लमंदी दिखाते हुए कहा, ‘‘इतने पास के 300 रुपए, आप टैक्सी वाले तो लूट रहे हो। मैं अपना सामान खुद ही उठाकर चला जाऊंगा।’’
वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा। कुछ देर बार पुन: उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा, ‘‘भैया, अब तो मैंने आधे से ज्यादा दूरी तय कर ली है तो अब आप कितने रुपए लेंगे?’’
टैक्सी वाले ने जवाब दिया, ‘‘500 रुपए।’’
उस आदमी ने फिर कहा, ‘‘पहले 300 रुपए, अब 500 रुपए, ऐसा क्यों?’’
टैक्सी वाले ने जवाब दिया, ‘‘महोदय, इतनी देर से आप एयरपोर्ट की विपरीत दिशा में दौड़ लगा रहे हैं जबकि एयरपोर्ट तो दूसरी तरफ है।’’
उस व्यक्ति ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप टैक्सी में बैठ गया। इसी तरह जिंदगी के कई मुकाम में हम किसी चीज को बिना गंभीरता से सोचे, सीधे काम करना शुरू कर देते हैं और फिर अपनी मेहनत और समय को बर्बाद कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैं। किसी भी काम को हाथ में लेने से पहले पूरी तरह सोच-विचार लें कि जो आप कर रहे हैं वह आपके लक्ष्य का हिस्सा है कि नहीं?
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दिशा सही होने पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो तो आप कितनी भी मेहनत कर लें कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। इसीलिए दिशा तय करें और आगे बढ़ें, फिर देखें कैसे दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की होगी ।