दिल्ली कथक महोत्सव की प्रस्तुतियों में होली की धूम

Edited By Jyoti,Updated: 17 Mar, 2022 10:50 AM

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नई दिल्ली: आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत चाणक्यपुरी स्थित कथक केंद्र का ‘दिल्ली कथक महोत्सव’ जहां कथक जगत की तीन महान विभूतियों, सितारा देवी, पं. बिरजू महाराज तथा पं. मुन्ना शुक्ला

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मत मारो कनक पिचकारी...

नई दिल्ली: आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत चाणक्यपुरी स्थित कथक केंद्र का ‘दिल्ली कथक महोत्सव’ जहां कथक जगत की तीन महान विभूतियों, सितारा देवी, पं. बिरजू महाराज तथा पं. मुन्ना शुक्ला को समर्पित रहा वहीं इसमें देश भर से आए लगभग 200 से अधिक कलाकारों ने भाग लेकर कला एवं संस्कृति को कोरोना जैसी महामारी के बाद एक नई दिशा प्रदान की। बुधवार का अंतिम दिन एक दर्जन कथक की वरिष्ठ गुरुओं के नाम रहा जिसमें उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों के साथ-साथ अपने गुरुओं की अनेक यादें ताजा कीं तथा आने वाले होली उत्सव को भी गीत-संगीत-नृत्य और फूलों के साथ प्रदर्शित किया।
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इसी वर्ष पद्मश्री सम्मान के लिए नामित नलिनी-कमलिनी द्वारा राग यमन पर आधारित राम स्तुति ‘श्रीराम चंद्र कृपालु भजु मन’, तीन ताल में निबद्ध पारंपरिक कथक तथा राग काफी में गुरु जितेन्द्र महाराज द्वारा रचित ‘मत मारो कनक पिचकारी’ से दर्शकों-श्रोताओं में उल्लास, उमंग और आनंद भर दिया तो पद्मश्री शोवना नारायण की शिव स्तुति, साढे नौ मात्रा का शुद्ध पद्धति तैयारी अंग तथा वसंत वैभव ‘सकल बन पवन चलत पुरवाई’ विशेष मनोहारी रहे। पटना से आईं नीलम चौधरी जहां प्रशासनिक सेवा में कार्यरत हैं वहीं उनका कथक समर्पण और पं. बिरजू महाराज को बिहार में जाकर कथक नृत्य को पोषित करवाना उनकी विशिष्ट उपलब्धि रही। 
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राजीव सिन्हा के गायन पर उन्होंने राग बिहाग पर आधारित श्रृंगारिक बंदिश तथा प्रसिद्ध मैथिली कवि विद्यापति की रचना को मनोहारी नृत्य की वाभिव्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत किया। गुरु शिखा खरे ने बताया कि बिरजू महाराज कहा करते थे कि प्रस्तुति ऐसी होनी चाहिए जो देखने वालों के दिलों पर राज जमा ले। उन्होंने शंकराचार्य कृत ‘गुरुपादपम’, ‘गुरु बिन कौन बतावे राह’, द्रुत लय में गत निकास तथा बिंदादीन महाराज की ठुमरी ‘मोहे छेडो ना नंद के’ जैसी रचनाओं से मन मोह लिया। सुल्तानपुर से आए त्रिपुरारी महाराज के दो दर्जन कलाकारों का समूह, आसावरी पंवार, प्रेरणा श्रीमाली, शास्वती सेन, नंदिनी सिंह का समूह तथा गुरु जयकिशन महाराज के निर्देशन में कथक केंद्र की प्रस्तुतियों का समायोजन हुआ। धन्यवाद ज्ञापन में कथक केंद्र के निदेशक सुमन कुमार ने कहा कि मनुष्यता को बेहतर बनाने हेतु और समाज के संपूर्ण विकास के लिए कलाओं व संस्कृतियों का विशेष महत्व है जिन्हें इसी प्रकार के उत्सवों द्वारा फलित-पोषित-पल्लवित किया जा सकता है। कार्यक्रम की उत्सव निदेशिका प्रतिभा सिंह, संचालक जैनेन्द्र सिंह व समन्वयक साबर सिंह, लक्ष्मण सिंह, सुनीता यादव, जितेन्द्र कुमार, रवि आदि थे।
 

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