Kundli Tv- देव दीपावली के बारे में ये जानते हैं आप ?

Edited By Lata,Updated: 22 Nov, 2018 10:19 AM

dev deepawali 2018

गुरुवार दिनांक 22.11.18 को चौमासी चौदस व कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के उपलक्ष में देव दीपावली मनाई जाएगी।

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गुरुवार दिनांक 22.11.18 को चौमासी चौदस व कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के उपलक्ष में देव दीपावली मनाई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर सभी को उत्पीड़ित करने वाले राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया, जिसके उल्लास में देवताओं ने दीपावली मनाई, जिसे देव दीपावली के रूप में मान्यता मिली। इसी तिथि को भगवान शंकर ने अहंकारी राजा दिवोदास के अहंकार को भी नष्ट कर दिया था। यह पर्व ऋतुओं में श्रेष्ठ शरद, मासों में श्रेष्ठ कार्तिक व तिथियों में श्रेष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे देवताओं का भी दिन माना जाता है। इस माह की पवित्रता इस बात से भी है कि इसी माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वो को प्रमाणित किया है। इस माह किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का अनन्त फल मिलता है। इस पर्व को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी के घाटों पर दीप जलाकर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है। देव दीपावली के विशेष पूजन व उपायों से व्यक्ति का भाग्य उज्ज्वल होता है, संकट समाप्त होते हैं तथा जीवन में खुशहाली आती है।
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स्पेशल पूजन विधि: सुबह शिवालय जाकर शिवलिंग सहित शिवपरिवार का विधिवत षोडशोपचार पूजन करके व्रत का संकल्प लें। गाय का घी में केसर मिलाकर दीपक करें, चंदन की धूप करें, गेंदा के फूल चढ़ाएं, पीले चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं। केसर चढ़ाएं, खीर पूड़ी व बर्फी का भोग लगाएं तथा मध्यान के समय घर की उत्तर-पूर्व दिशा में पीला कपड़ा बिछाकर पीतल के लोटे में जल, दूध, सिक्के, दूर्वा, सुपारी व पीपल के पत्ते पर नारियल रखकर रुद्र कलश स्थापित करें, साथ ही शिव परिवार षोडशोपचार पूजन करें। इसी के साथ मध्य रात्रि निशिता काल में पीतल के दीए में गाय के घी का दीपक करें, चंदन की धूप जलाएं, केसर से तिलक करें, दूर्वा चढ़ाएं, गुड़-चना का भोग लगाएं और 108 बार इन विशिष्ट मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद भोग ग्रहण करके व्रत खोलें। 
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प्रातः कालीन मुहूर्त: सुबह 08:44 से सुबह 10:48 तक।

मध्यान कालीन मुहूर्त: दिन 11:46 से दिन 12:53 तक। 

निशिता कालीन मुहूर्त: रात 00:05 से रात 01:46 तक। (सिंह लग्न) 

गणेश पूजन मंत्र: वक्रतुंडाय हूं॥

महादेव पूजन मंत्र: ॐ देवदेवाय नमः॥
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गौरी पूजन मंत्र: ॐ गौर्यै देव्यै नमः॥

कार्तिकेय पूजन मंत्र: ॐ स्कन्दाय नमः॥

शिव-शक्ति पूजन मंत्र: ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं॥

स्पेशल टोटके: 
उज्ज्वल भविष्य के लिए:
शिवलिंग पर दही चढ़ाएं। 

जीवन में खुशहाली के लिए: शिवलिंग पर कमल का फूल चढ़ाएं।

संकटों के नाश के लिए: शिवलिंग के समीप 15 घी के दीपक जलाएं।
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गुडलक के लिए: रुद्राक्ष की माला से "ॐ श्रीवर्धनाय नमः" मंत्र का जाप करें।  

विवाद टालने के लिए: शिवलिंग पर पीला कनेर का फूल चढ़ाकर जलप्रवाह करें।

नुकसान से बचने के लिए: मौली में लाल-पीले फूल पिरोकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।

प्रोफेशनल सक्सेस के लिए: शिवलिंग पर केसर मिले जल से अभिषेक करें। 

एजुकेशन में सक्सेस के लिए: हल्दी से नोटबुक पर "ह्रं" लिखें।

फैमिली हैप्पीनेस के लिए: दंपत्ति पूजाघर में बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें।  
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लव लाइफ में सक्सेस के लिए: भोजपत्र पर अष्टगंध से लवर का नाम लिखकर शिवलिंग चढ़ाएं। 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com
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