Dev uthani ekadashi: देवउठनी एकादशी की तिथि को लेकर बनी हुई है Confusion, यहां जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Nov, 2024 12:04 PM

dev uthani ekadashi

Dev Uthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी को अत्यंत उत्तम माना जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जगत के...

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Dev Uthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी को अत्यंत उत्तम माना जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जाग जाते हैं और उनके जागने के साथ ही सभी शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ इस दिन से चातुर्मास का समापन भी हो जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्री हरि की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से मन की हर इच्छा पूरी होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस बार देवउठनी एकादशी की डेट को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन बनी हुई है। तो आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-

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Devuthani Ekadashi date and auspicious time देवउठनी एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2024 की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 12 नवंबर 2024 को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत मंगलवार 12 नवंबर को रखा जाएगा।

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Dev Uthani Ekadashi 2024 Parana Time देवउठनी एकादशी 2024 पारण समय
देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 13 नवंबर बुधवार को किया जाएगा। व्रत पारण का समय सुबह 6 बजकर 42 मिनट से शुरू है, जो सुबह 8 बजकर 51 मिनट तक है।

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Method of Worship on Dev Uthani Ekadashi देवउठनी एकादशी पूजा विधि
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और व्रत का संकल्प लें।
फिर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर अर्पित करें।
अब श्री हरि का पंचामृत से स्नान करें और चंदन का तिलक लगाएं।
उसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूलों की माला, मिठाई, फल और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
इसके बाद भगवान विष्णु जी 108 नामों और मंत्रों का जाप करें।
अंत में श्री हरि के समक्ष घी का दीपक जलाएं और आरती करें।

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