क्या आप जानते हैं चातुर्मास में करनी चाहिए किस देवी-देवता की पूजा?

Edited By Jyoti,Updated: 16 Jul, 2021 01:58 PM

devi devta worship in chaturmas

प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी के साथ चार्तुमास का आंरभ हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन से देवउत्थठान एकादशी तक यानि पूरे 4 मास के लिए निद्रा में चले जाते हैं

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प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास का आंरभ हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन से देवउत्थठान एकादशी तक यानि पूरे 4 मास के लिए निद्रा में चले जाते हैं। अन्य किंवदंतियों की मानें तो इनके साथ अन्य की देव शयन अवस्था में चले जाते हैं। ऐसे मेंबहुत से लोगों के मन में एक सवाल आता है कि इस दौरान विशेषरूप से किस देवी-देवता का पूजन करना चाहिए। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में यही बताने जा रहे हैं कि चातुर्मास में किसती पूजा करनी चाहिए।  

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक चातुर्मास में श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान शिव, माता पार्वती, देवी दुर्गा, हनुमानजी, मंगलदेव, सूर्यदेव, गणेशज,  भगवान श्रीकृष्‍ण, श्रीराधा तथा पितृदेव। 

कहा जाता है चूंकि चातुर्मास में श्री हरि सहित सभी देवता 4 माह के लिए राजा बलि के यहां पाताल लोक में योगनिद्रा में रहते हैं, इसलिए इस दौरान भगवान शिव के हाथों में सृष्टि का संचालन रहता है। यही कारण है विशेष रूप से इस माह में शिव जी का पूजन अधिक महत्व रहता है।

धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ माह में भगवान विष्णु, सूर्यदेव, मंगलदेव, दुर्गा और हनुमानजी की पूजा करने से भी दोगुना फल प्राप्त होता है। खासतौर पर आषाढ़ मास में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा से अधिक पुण्य प्राप्त होता है। कहा जाता है कि आषाढ़ में श्रीहरि विष्णु के वामन रूप की पूजा, श्रावण मास में में शिव और पार्वती पूजा, भाद्रपद में गणेश और श्रीकृष्ण की पूजा से लाभ ही लाभ प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार आषाढ़ के महीने में अंतिम पांच दिनों में भगवान वामन की पूजा का विशेष महत्व होता है। 

विष्णु जी के अलावा इस दौरान जलदेव की विशेष उपासना करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति तथा मंगल एवं सूर्य की उपासना से ऊर्जा का स्तर बना रहता है। 

इस माह में इन विष्णु जी और देवों के देव महादेव की कृपा पाने के लिए जातक को विशेष व्रत, उपवास, पूजा करना चाहिए। ऐसी मान्यताएं हैं कि कार्तिक माह के 15 दिन देवउठनी एकादशी तक पुन: भगान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है। 
 

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