भगवान ने स्वयं बताया है उनका कोई भक्त, ऐसा करे तो उन्हें अच्छा नहीं लगता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Aug, 2017 12:42 PM

devotee does not like to do this

बहुत विद्वान थे रामानुजाचार्य। उन्होंने शास्त्रों का गंभीर अध्ययन कर रखा था। गंभीर अध्येता तथा प्रखंड विद्वान भी उनसे शास्त्रार्थ करने से भयभीत होते थे। अपने अकाट्य तर्कों से वह सबको निरुत्तर कर बुरी तरह पराजित करते।

बहुत विद्वान थे रामानुजाचार्य। उन्होंने शास्त्रों का गंभीर अध्ययन कर रखा था। गंभीर अध्येता तथा प्रखंड विद्वान भी उनसे शास्त्रार्थ करने से भयभीत होते थे। अपने अकाट्य तर्कों से वह सबको निरुत्तर कर बुरी तरह पराजित करते। इस कारण उनसे शास्त्रार्थ करने से लोग दूर भागते। रामानुजाचार्य के इष्ट देव थे श्री रंग भगवान। जब आचार्य उनकी उपासना में बैठते तो आपा भी भूल जाते, समाधि जैसी स्थिति में पहुंच जाते। एक दिन जब वह अपने प्रभु में पूरी तरह लीन हो चुके थे तो उन्हें कुछ ऐसा आभास हुआ, जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी। उन्होंने समाधिस्थ अवस्था में पूछ लिया, ‘‘प्रभु! यह क्या, आपकी पीठ पर यह फोड़ा कैसा?’’


श्री रंग भगवान का उत्तर था, ‘‘तुम्हारे कारण।’’


‘‘मैं समझा नहीं।’’


‘‘वत्स! तुम जब शास्त्रार्थ के समय दूसरों को पराजित करते-करते उन पर व्यंग्य बाण छोडऩे लगते हो तो मुझे बहुत बुरा लगता है। मैं बहुत आहत हो जाता हूं। उसी कारण मेरी पीठ पर व्रण अर्थात फोड़ा उभर कर पीड़ा देता है। घाव है यह।’’


‘‘भगवन! मैं अपने बुद्धि बल तथा अध्ययन के कारण उन अधर्मियों को पराजित करता हूं। अकारण कभी कुछ नहीं कहता।’’


‘‘नहीं! मेरा कोई प्रिय भक्त, जैसे कि तुम हो, ऐसा करे मुझे अच्छा नहीं लगता। किसी का भी मन दुखाना मेरे लिए पीड़ादायक होता है। भविष्य में तुम किसी का भी खंडन-मंडन नहीं करोगे। सरलता और विनयपूर्वक बात करोगे। अपने भजन, तप और परोपकार में लीन रहोगे तो मुझे फोड़ा भी नहीं झेलना पड़ेगा।’’
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!