Edited By Jyoti,Updated: 27 Jul, 2021 05:30 PM
एक बार की बात है। गांधी जी उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के दौरे पर थे। खान अब्दुल ग फार खान उनकी सारी व्यवस्था कर रहे थे। उन्हें सबसे अधिक ङ्क्षचता गांधी जी की सुरक्षा की थी। जिस समय गांधी जी उनके गांव में
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एक बार की बात है। गांधी जी उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के दौरे पर थे। खान अब्दुल ग फार खान उनकी सारी व्यवस्था कर रहे थे। उन्हें सबसे अधिक ङ्क्षचता गांधी जी की सुरक्षा की थी। जिस समय गांधी जी उनके गांव में ठहरे हुए थे। उन्होंने रात को कुछ खुदाई खिदमतगार कार्यकर्ताओं को गांधी जी की सुरक्षा में तैनात कर दिया। वे लोग हथियारों से लैस थे। गांधी जी को इस बात का पता न था।
बादशाह खान ने गांधी जी से पूछा था कि उनको इसमें कोई आपत्ति तो नहीं है न? मौन व्रत होने के कारण गांधी जी ने कोई चर्चा नहीं की और सिर हिला दिया। उनका मतलब था कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है। बादशाह खान ने समझ लिया - ठीक है। बाद में गांधी जी को पता चला कि पहरेदारों के पास हथियार हैं। उन्होंने बादशाह खान से कहा कि यह क्या पहरेदार हथियार लेकर चौकसी क्यों कर रहे हैं?
गांधी जी ने कहा कि अहिंसा का पाठ जीवन भर दूसरों को मैं पढ़ाता आया हूं और अपनी सुरक्षा के लिए भी हथियारबंद पहरेदार मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकता जिस बात को मैंने जीवन भार आदर देते हुए अ यास किया है, यह तो उसके एकदम विरुद्ध है। बादशाह खान बड़े समझदार व्यक्ति थे। उन्होंने गांधी जी की भावनाओं को स मान देते हुए तत्काल हथियाबंद पहरेदारों को हटा दिया।
लेकिन गांधी जी के न चाहते हुए भी उन्हें इस बात पर राजी कर लिया कि उनकी रक्षा के लिए बिना हथियार के कुछ पहरेदार रह सकते हैं। ईश्वर में अटूट श्रद्धा रखने वाले गांधी जी मानते थे कि इंसान की रक्षा के लिए हथियार का कोई मूल्य नहीं है। जिसे परमात्मा मारना चाहता है उसे दुनिया की कोई शक्ति नहीं बचा सकती है।
इसके अलावा जिसे परमात्मा बचाना चाहता है उसे कोई शक्ति नहीं मार सकती है। महात्मा गांधी का अहिंसा की शक्ति में अटूट विश्वास था।