Edited By Jyoti,Updated: 10 Mar, 2022 11:03 AM
तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग भगवद्गीता पढ़ रहे थे। तभी एक नास्तिक और होनहार नौजवान उनके पास आकर बैठा, उसने उन पर कटाक्ष किया कि लोग भी कितने मूर्ख हैं विज्ञान के युग में गीता जैसी बुक पढ़ रहे हैं।
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तिरुवनंतपुरम में समुद्र के पास एक बुजुर्ग भगवद्गीता पढ़ रहे थे। तभी एक नास्तिक और होनहार नौजवान उनके पास आकर बैठा, उसने उन पर कटाक्ष किया कि लोग भी कितने मूर्ख हैं विज्ञान के युग में गीता जैसी बुक पढ़ रहे हैं।
उसने उन सज्जन से कहा कि आप यदि यही समय विज्ञान को दे देते तो अब तक देश न जाने कहां पहुंच चुका होता, उन सज्जन ने उस नौजवान से परिचय पूछा तो उसने बताया कि वह कोलकाता से है और विज्ञान की पढ़ाई की है अब यहां भाभा परमाणु अनुसंधान में अपना करियर बनाने आया है। कहा कि आप भी थोड़ा ध्यान वैज्ञानिक कार्यों में लगाएं भगवद्गीता पढ़ते रहने से आप कुछ हासिल नहीं कर सकोगे।
सज्जन मुस्कुराते हुए जाने के लिए उठे, उनका कहना था कि 4 सुरक्षा कर्मी वहां उनके आसपास आ गए, आगे ड्राइवर ने कार लगा दी जिस पर लाल बत्ती लगी थी। लड़का घबराया और उसने उनसे पूछा, ‘‘ आप कौन हैं?’’
उन सज्जन ने अपना नाम बताया ‘विक्रम साराभाई’ जिस भाभा परमाणु अनुसंधान में लड़का अपना करियर बनाने आया था उसके अध्यक्ष वही थे।
उस समय विक्रम साराभाई के नाम पर 13 अनुसंधान केन्द्र थे, साथ ही साराभाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने परमाणु योजना का अध्यक्ष भी नियुक्त किया था। अब शर्मसार होने की बारी लड़के की थी। वह साराभाई के चरणों में रोते हुए गिर पड़ा। तब साराभाई ने बहुत अच्छी बात कही, उन्होंने कहा, ‘‘हर निर्माण के पीछे निर्माणकर्ताा यानी ईश्वर अवश्य है। इसलिए फर्क नहीं पड़ता यह महाभारत है या आज का भारत, अत: ईश्वर को कभी मत भूलो।’’